Gwalior Chambal by Election: ग्वालियर/ ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ कहे जाने वाले ग्वालियर चंबल में भाजपा चिंतित है। क्योंकि इस क्षेत्र में 28 में से 13 सीटें आती हैं। इन 13 सीटों पर भाजपा 6 पर, कांग्रेस 5 पर व बसपा 2 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती चंबल का मुरैना बन रहा है। यहां पर 5 सीटें थी और इनमें से आरंभिक स्र्झानों में भाजपा एक सीट पर आगे है और तीन पर कांग्रेस व एक पर बसपा आगे हैं।
खासबात यह है कि मुरैना की सभी सीटों पर सिंधिया के समर्थक प्रत्याशी हैं, लेकिन यह क्षेत्र केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का भी प्रभाव वाला क्षेत्र है। साथ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी मुरैना से आते हैं। ऐसे में मुरैना में भाजपा की स्थिति चिंताजनक है।
सिंधिया के तीन मंत्री भी पीछे: सिंधिया के गढ़ में उनके तीन मंत्री पीछे हैं। इनमें सुमावली विस क्षेत्र सेे ऐदल सिंह कंषाना, दिमनी विस क्षेत्र से गिर्राज डंडोतिया व भिण्ड की मेहंगाव सीट से ओपीएस भदौरिया पीछे चल रहे हैं।
ग्वालियर में सिंधिया व भाजपा को राहत: ग्वालियर में सिंधिया व भाजपा को राहत है।यहां की तीनों सीटों पर सिंधिया समर्थक दो मंत्री व एक विधायक अपने प्रतिद्वंदियों से आगे चल रहे हैं। हालांकि दतिया में भांडेर सीट व शिवपुरी की करैरा सीट पर भाजपा पीछे है। पोहरी में जरूर भाजपा प्रत्याशी आगे हैं। ऐसे में ग्वालियर चंबल अंचल का चुनाव सिंधिया व भाजपा के लिए अभी तक खट्टा मीठा ही साबित हो रहा है।
जोर लगाया, लेकिन काम न आया
भाजपा की ओर से ग्वालियर चंबल ग्वालियर अंचल की सीटों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हर विधानसभा में 3 से लेक 4 सभाएं की और जनसंपर्क किया, लेकिन इनका असर मुरैना की चारों सीटों पर नजर नहीं आ रहा है । जबकि कांग्रेस के कमलनाथ हर विधानसभा में बमुश्किल 1 बार ही पहुंच पाए हैं। अंबाह, मेहगांव विधानसभा तो ऐसी हैं जहां पर कमल नाथ नहीं गए थे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी आगे चल रहे हैं।