Provision of one nation one registration will be implemented across the country: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भूमि सुधार की दिशा में पहल करते हुए सरकार ने आम बजट में महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। राज्यों में भूमि संबंधी विवादों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने के लिहाज से यह प्रावधान काफी कारगर साबित होगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा कि इससे शहरी व ग्रामीण दोनों जगहों पर भूमि की अपनी अलग पहचान निश्चित की जाएगी।
प्रत्येक भूखंड के होंगे आधार जैसे अपने यूनिक नंबर
जमीन संबंधी विवाद और फर्जी बैनामा जैसी अबूझ पहेली से निपटने के लिए ‘वन नेशन-वन रजिस्ट्रेशन’ का प्रावधान देशभर में लागू हो जाएगा। इसके लिए राज्य भी सहमत हो चुके हैं। इस बाबत एक खास सॉफ्टवेयर से नेशनल जेनेरिक डाक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एनजीडीआरएस) को जोड़ दिया जाएगा। देश के ज्यादातर राज्यों में भूमि दस्तावेजों (लैंड रिकार्ड्स) का कंप्युटरीकरण का काम पूरा हो चुका है। उन्हें अब सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) से लिंक कर दिया जाएगा। इसके लिए डिजिटलीकरण के प्रति लोगों को जागरूक भी किया जाएगा।
नेशनल डाक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम से जुड़ेंगे राज्यों के भूमि दस्तावेज
भूमि संसाधनों के प्रभावी उपयोग की अनिवार्यता को लेकर सरकार सतर्क है। राज्यों को इसके लिए तैयार किया जा रहा है। इसके पहले चरण में राज्यों के भू अभिलेखों को डिजिटलाइज किया जा रहा है जो लगभग अंतिम चरण में है। भूमि के प्रत्येक टुकड़े को यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर से लैस कर दिया जाएगा। संविधान में भूमि राज्य का विषय होने की वजह से इसके लिए राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा। संविधान के आठवीं अनुसूची में दर्ज सभी भाषाओं में भूमि दस्तावेजों की नकल भी प्राप्त की जा सकती है। इस प्रणाली के पूरी तरह संचालित होने के बाद देश के किसी भी हिस्से में होने वाला बैनामा में घपले की आशंका नहीं होगी।
डिजिटलीकरण के बाद कहीं की भी जमीन को देखा जा सकेगा आनलाइन
जमीन के टुकड़े अथवा खेत का फर्जी बैनामा अथवा कई लोगों को एक साथ नहीं किया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन की समान प्रणाली पूरे देश में लागू होने से जमीन संबंधी विवादों को सीमित करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय भू संसाधन मंत्रालय सभी राज्यों में भूमि सुधार से जुड़े मॉडल एक्ट देता रहा है। मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल 6.58 लाख गांव हैं जिनमें से 5.98 लाख गांवों की जमीनों का कंप्यूटरीकरण हो चुका है। राज्यों में यह प्रक्रिया लगभग पूरी होने वाली है। डिजिटलीकरण के बाद कहीं की भी जमीन को आनलाइन देखा जा सकेगा। प्रिंट निकालकर उसकी नकल प्राप्त की जा सकेगी। डिजिटलीकरण से बैनामा कराने से पहले संबंधित जमीन के मालिकाना हक की भी जांच की जा सकेगी।