One year suspension of 12 bjp mlas in maharashtra worse than expulsion supreme court said: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि एक साल का निलंबन निष्कासन से बदतर है, क्योंकि इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि यह सदस्य को दंडित करना नहीं, बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित करना है। निलंबन की अवधि वैध समय सीमा से परे है। यह टिप्पणी मंगलवार को न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और दिनेश महेश्वरी की पीठ ने मामले पर सुनवाई के दौरान की। भाजपा के निलंबित विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर निलंबन को चुनौती दी है।
कोर्ट ने कहा-यह सदस्य को नहीं, बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित करने जैसा
महाराष्ट्र विधानसभा ने पांच जुलाई, 2021 को पारित प्रस्ताव में कथित दुर्व्यवहार के लिए भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक साल के निलंबन को गलत बताते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि यदि निष्कासन होता है तो उस खाली सीट को भरने की एक प्रक्रिया और व्यवस्था है। एक साल का निलंबन निर्वाचन क्षेत्र के लिए सजा के समान होगा। नियम के मुताबिक, विधानसभा के पास किसी सदस्य को 60 दिन से अधिक निलंबित करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 190(4) का हवाला दिया, जो कहता है कि यदि कोई सदस्य सदन की इजाजत के बगैर 60 दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो वह सीट खाली मानी जाएगी।
जस्टिस खानविल्कर ने कहा कि इससे सदस्य दंडित नहीं हो रहा, बल्कि पूरा निर्वाचन क्षेत्र दंडित हो रहा है। संवैधानिक प्रविधानों के मुताबिक, किसी निर्वाचन क्षेत्र को छह महीने से अधिक की अवधि तक बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम की यह दलील नहीं मानी कि कोर्ट विधानसभा द्वारा दिए गए दंड के परिमाण की जांच नहीं कर सकता। कोर्ट ने जब इन टिप्पणियों के बाद मामले पर विचार करने का मन बनाया तो महाराष्ट्र सरकार के वकील ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 18 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
भटनागर ने कहा कि निलंबन छह महीने से ज्यादा का नहीं हो सकता। महाराष्ट्र सरकार के वकील सुंदरम ने कहा कि सदन को अपने नियम बनाने का पूर्ण अधिकार है, यहां तक कि अपने सदस्यों को निलंबित करने का भी। इस पर जस्टिस महेश्वरी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आप जो चाहें वह कर सकते हैं, इसका क्या मतलब है? कितने दिन तक सीट खाली रह सकती है? अधिकतम सीमा छह महीने है। क्या 12 निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधित्वहीन रहने से संविधान का मूल ढांचा प्रभावित नहीं होता? जस्टिस खानविल्कर ने कहा कि आज ये 12 हैं। कल को ये 120 होंगे। यह खतरनाक दलील है। पूर्ण शक्ति का मतलब निरंकुशता नहीं होता।