problem : पटना / कोरोना के इस दौर में जहां एक ओर घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़ी हैं, वहीं दूसरी ओर महिला हेल्पलाइन में टीनएज लड़कियां खुद को अपने परिवार वालों से रेस्क्यू कराने के लिए आवेदन दे रही हैंउनका कहना है कि उनके अभिभावक उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं और उन्हें उनकी ओर से लगायी गयी बंदिशें पसंद नहीं हैं. हालांकि कुछ मामलों में लगातार काउंसेलिंग के बाद वे अपने घर में रहने को तैयार हो गयी हैं.
अभिभावकों को बच्चों को समझना होगा
पिछले एक महीने में हमने दो टीनएज लड़कियों और एक युवती को उनके घर से उनकी शिकायत करने पर रेस्क्यू किया है. फोन पर हर दिन ऐसे 3-4 मामलों की काउंसेलिंग की जाती है. पहले हेल्पलाइन के जरिये उन युवतियों की मदद की जाती थी, जिन पर घरेलू हिंसा हो रही है और वे वहां से निकलने में असमर्थ हैं. अब कम उम्र की लड़कियां अपने माता-पिता के खिलाफ ही शिकायत कर खुद को अपने ही घर से रेसक्यू करा रही हैं. गार्जियनशिप बढ़ जाने की वजह से ऐसा हो रहा है. वहीं लड़कियों को स्वच्छंद रहना पसंद है. ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चों को समझने की जरूरत है.
केस 1 : कंकड़बाग की रहने वाली मानसी (काल्पनिक नाम) ने महिला हेल्पलाइन में यह शिकायत कर खुद को रेस्क्यू करवाया कि उनके अभिभावक उसे बाहर पढ़ने नहीं देना चाहते हैं. लगातार अभिभावक और लड़की की काउंसेलिंग की गयी जिसके बाद पिता ने अपनी बेटी का नामांकन यहीं के कॉलेज में करा दिया है और सभी साथ रह रहे हैं.
केस 2 : दीघा की रहने वाली कविता (काल्पनिक नाम) ने राष्ट्रीय महिला आयोग में यह आवेदन दिया कि वह बाहर जॉब करती हैं और कोरोना की वजह से घर आयी हुई हैं. अब जब वे वापस जाना चाहती हैं, तो उसके पिता जबरदस्ती उसे घर में रख रहे हैं. जब महिला हेल्पलाइन में यह मामला आया, तो युवती और उसके पिता की बातों को सुना गया. फिर लगातार काउंसेलिंग करने के बाद आपसी सहमति से युवती घर वापस लौटी.