During corona period spices demand increased in world exports doubled says ministry of agriculture: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ विश्व बाजार में घरेलू मसालों की खुशबू की धमक बहुत अधिक बढ़ी है। कोरोना काल के दौरान मसालों की मांग स्वास्थ्य के पूरक के रूप में होने से घरेलू बाजार के साथ निर्यात मांग में जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की गई है। मिर्च, अदरक, हल्दी और जीरे वाली फसलों का प्रदर्शन शानदार रहा है। मसालों की बढ़ी मांग के मद्देनजर इन फसलों की खेती का रकबा भी बढ़ा है। निर्यात बाजार में घरेलू मसालों के प्रतिस्पर्धी मूल्य मिलने से विदेशी मुद्रा में दोगुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जारी आंकड़ों के मुताबिक मसालों की पैदावार पिछले सात वर्षों में 60 फीसद अधिक एक करोड़ टन से अधिकल हुई है। इसका श्रेय मंत्रालय की कई प्रमुख योजनाओं को दिया जा सकता है।
मसाले की खेती में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया, जिसका असर वैश्विक बाजार में मसालों के निर्यात पर पड़ा है। वर्ष 2014-15 में जहां 67.64 लाख टन मसालों का उत्पादन किया गया था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया है। इसमें अदरक, मिर्च, हल्दी और जीरा की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही है। मसाला निर्यात से वर्ष 2020-21 में कुल 29,535 करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। जबकि वर्ष 2014-15 में मसाले के निर्यात से मात्र 14,899 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा मिली थी।
मसाला खेती की वार्षिक वृद्धि दर 7.9 फीसद रही
मसाला खेती की वार्षिक वृद्धि दर 7.9 फीसद रही है। मसाले वाली फसलों का रकहबा 32.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.29 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है। मसाले के कुल उत्पादन में जीरे की हिस्सेदारी 14.8 फीसद, लहसुन 14.7 फीसद, अदरक 7.5 फीसद, सौंफ 6.8 फीसद, धनिया 6.2 फीसद, मेथी 5.8 फीसद, लाल मिर्च 4.2 फीसद और हल्दी की हिस्सेदारी 1.3 फीसद है।
बागवानी फसलों के कुल निर्यात में मसाले की हिस्सेदारी 41 फीसद पहुंची
सात साल पहले जहां 8.94 लाख टन मसाले निर्यात किए जाते थे वह इस समय बढ़कर 16 लाख टन हो गया है। मात्रा के रूप में 9.8 फीसद और मूल्य के रुप में 10.5 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। बागवानी फसलों के कुल निर्यात में मसाले की हिस्सेदारी 41 फीसद पहुंच गई है। खाद्य उत्पादें के निर्यात में समुद्री उत्पादों, गैर बासमती व बासमती चावल के बाद मसालों का स्थान है। .