Margashirsha Purnima 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ साल 2021 की आखिरी पूर्णिमा 18 दिसंबर को पड़नेवनाली है। मार्गशीर्ष महीने में होने के कारण इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन खास तौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की उपासना का भी खास महत्व है। कहा जाता है कि आज के दिन ही चंद्रदेव अमृत से परिपूर्ण हुए थे। वैसे भी पूर्णिमा तिथि पर भगवान का स्मरण, व्रत, पाठ और कथा आदि सुनने से विशेष फल मिलता है। खास बात ये है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन एक खास योग बनने जा रहा है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्यक्ति को मुक्ति दिला सकती है, इसलिए इसे कई शास्त्रों में मोक्षदायिनी भी कहा गया है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
18 दिसंबर, शनिवार के दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ सुबह 07 बजकर 24 मिनट से शुरु होगा, जो 19 दिसंबर, रविवार की सुबह 10 बजकर 05 मिनट पर खत्म होगा।
पूर्णिमा शुभ योग
18 दिसंबर को पूर्णिमा के दिन साध्य योग बनने जा रहा है। साध्य योग में किए गए सभी कार्य शुभ माने जाते हैं और सफल होते हैं। पूर्णिमा के दिन साध्य योग सुबह 09 बजकर 13 मिनट तक है, उसके बाद शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
सभी महीनों में मार्गशीर्ष को सबसे पवित्र माना जाता है। वैसे तो मार्गशीर्ष का पूरा महीना भगवान कृष्ण का है, लेकिन पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा का खास ही महत्व माना जाता है। इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें। ज्योतिष के मुताबिक इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है। अगर आपका चंद्र कमजोर है, तो अवश्य व्रत करें।