Karwa Chouth : varanasi/करवा चौथ के व्रत को शास्त्र में गृहस्थ जीवन के लिए अहम बताया गया है। ज्योतिषों ने बताया कि चतुर्थी गणेश जी की तिथि है और इस दिन बुधवार होने के साथ सर्वार्थसिद्धि योग, शिवयोग भी बन रहा है, जो बहुत कम होता है। यह संयोग महिलाओं की मनोकामनाएं पूरी करने में शुभकारक होगा। सुहागिन अपनी पति की लंबी आयु की कामना के लिए यह व्रत करेंगी।
शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। करवा चौथ पर पूजा मुहूर्त शाम 5.29 से 6.48 बजे तक है। चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को 3.24 पर आरंभ होकर 5 नवंबर को 5.14 बजे समाप्त हो जाएगी। वे महिलाएं जिनकी शादी इस साल हुई है और उनका यह पहला करवा चौथ है उनमें इस व्रत को लेकर खासा उत्साह रहता है। वे अपने परिवार के इस पूजा विधान की परंपरा को समझते हुए आगे निभाने के लिए उत्साहित हैं। माना जाता है कि इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके ही पूजा में शामिल होना चाहिए। यही वजह है कि महिलाएं इन दिनों बाजारों में सोलह श्रृंगार व पूजन की सामग्री खरीदने में जुटी हैं। सुहागिनों के लिए इस बार करवा चौथ खास होगा। अमर सुहाग के लिए रखा जाने वाला यह व्रत चार नवंबर को पड़ रहा है, जो सर्वार्थसिद्धि व शिवयोग लिए हुए है।
तैयारी में जुटी सुहागिनें
इस पर्व को उत्साह से मनाने के लिए सुहागिनें तैयारी में जुट गई हैं। इस व्रत के लिए खास माना जाने वाला करवा (मिट्टी का छोटा घड़ा) भी बाजार में पहुंचने लगा है। कहीं-कहीं इस व्रत को कुंवारी युवतियां भी निर्जला व्रत रख मनवांछित वर पाने के लिए करने लगी हैं। करवा चौथ पूजा विधि में माता पार्वती व भगवान गणेश की पूजा अर्चना होगी। इस पर्व को अब तक सुहागिनें एक समूह में एकत्र होकर मनाती रही हैं। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार यह संभव नहीं है। पूजा में करवा चौथ की कथा सुनने के बाद रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ व्रत समाप्त करेंगी। ज्योतिषियों के अनुसार करवा चौथ पर चंद्रोदय रात 8.24 बजे होगा।
समूह में पूजा नहीं कर पाएंगी महिलाएं
कोरोना संक्रमण के कारण इस करवा चौथ में महिलाएं सामूहिक रूप से पूजा विधान नहीं कर पाएंगे। शहर में अलग-अलग कालोनियों में एक समूह एकत्र होकर महिलाएं पूजा करती रही हैं, लेकिन इस बार उन्हें अपने-अपने घरों में ही रहते हुए करवा चौथ की पूजा करनी होगी।