Death sentence to two accused in the murder of three girls in shahjahanpur: digi desk/BHN/बरेली/ शाहजहांपुर में 2010 में हुई तीन सगी बहनों की हत्या के मामले में न्यायालय ने दो अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई है। सगी बहनों के हत्या के मामले में यह सजा अपर सत्र न्यायधीश सिद्धार्थ कुमार वाघव ने सुनाई है।इसके साथ ही मामले में बच्चियों के पिता को ही हत्यारोपित बताकर चार्जशीट पेश करने वाले तत्कालीन विवेचक व गवाह के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया है। जिसके बाद पुलिस कर्मियों में भी खलबली मची हुई है।
मामला निगोही थाना क्षेत्र के जेवां मुकुंदपुर गांव है। जहां रहने वाले अवधेश कुमार ने अवधेश कुमार की गांव के छुटकन्नू से एक मुकदमे में गवाही को लेकर रंजिश चलती थी। 15 अक्टूबर 2002 शाम छह बजे अवधेश अपने घर में चारपाई पर लेटा हुआ था। तभी वहां छुटकन्नू, उसका बेटा नरवेश व भाई राजेंद्र असलहा लेकर घर में घुस गए। उन लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग की। अवधेश तो वहां से भाग गए, लेकिन अभियुक्तों ने पड़ोस में चारपाई पर लेटीं उसकी बेटी रोहिणी नौ वर्ष, नीता आठ वर्ष व सुरभि सात वर्ष काे गाेली से भून दिया। जिससे तीनाें की माैके पर ही माैत हो गई थी।
पुलिस ने इस मुकदमे में तीनों अभियुक्तों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली, लेकिन तत्कालीन विवेचक होशियार सिंह ने विवेचना में अवधेश को ही बेटियों का हत्यारा बताते हुए आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा ने विवेचक के आरोप पत्र व गवाह दिनेश के बयान को गलत बताते हुए नामजद अभियुक्तों को ही हत्यारा बताया। अपर सत्र न्यायाधीश ने गवाहों के बयान व साक्ष्यों के आधार पर राजेंद्र व नरवेश को फांसी की सजा सुनाई। छुटकन्नू की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है।