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कोरोना की भेंट चढ़े कई पर्व, अब महिलाएं उत्साह से मनाएंगी करवा चौथ

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ होली के बाद से महिलाओं ने कोई भी पर्व धूमधाम से नहीं मनाया है। कोरोना महामारी के चलते कई पर्व सादगी से मने और कुछ पर्व पूरी तरह से कोरोना की भेंट चढ़ गए। इस बीच महिलाओं के प्रमुख पर्व जैसे गणगौर, सावन के झूले सजाना, सावन की तीज, तीजा पर्व, जन्माष्टमी, नवरात्रि, शरद पूर्णिमा जैसे पर्व बीत गए, लेकिन महिलाएं घर पर ही रहीं। न तो जेवर, श्रृंगार सामग्री खरीदने का मौका मिला और न ही मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ कर पाईं। करीब सात महीने बाद अब महिलाओं को करवा चौथ पर सजने, संवरने और उत्साह से पूजा करने का अवसर मिल रहा है। महिलाएं इस बार धूमधाम से करवा चौथ मनाने की तैयारियों में जुट गईं हैं।

सजने लगा बाजार

चार नवंबर को मनाए जाने वाले करवा चौथ को मात्र दो दिन बचे हैं। बुधवार को पूजा से एक दिन पहले मेहंदी लगाने और सरगी यानी फल, मिठाई का सेवन करके व्रत रखा जाएगा। महिलाओं ने श्रृंगार सामग्री की खरीदारी करना शुरू कर दिया है। साथ ही मेहंदी लगाने और पार्लरों में सजने के लिए बुकिंग होने लगी है। पत्नी को भेंट देने के लिए सोने-चांदी के जेवरात भी खरीदे जाएंगे, इसलिए सराफा बाजार में भी रौनक दिखने लगी है।

थाल में रखें ये पूजन सामग्री

पूजा की तैयारी के लिए मिट्टी का करवा, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कधाा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, शक्कर, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, माता पार्वती बनाने पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा पूजा थाल में रखें।

मंगलवार को सरगी खाकर रखेंगी व्रत

व्रत रखने से पहले सरगी यानी मिठाई, मेवा, फल खाने की परंपरा मंगलवार को निभाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि सास द्वारा बहू को सरगी भेंट में दी जाती है। यदि सास नहीं है तो बहू से बड़ी कोई भी महिला, बुजुर्ग सरगी दे सकते हैं। जिनका विवाह तय हो चुका है, उस युवती के लिए ससुराल से सरगी भेजने का रिवाज है।

चंद्रमा को अर्ध्य की मान्यता इसलिए चार को मनाएंगे चौथ

चार नवंबर को 3 बजकर 24 मिनट से चतुर्थी तिथि शुरू होगी जो 5 नवंबर को 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगी। चूंकि करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्ध्य देने की मान्यता है इसलिए 4 नवंबर की रात को अर्ध्य देकर व्रत खोला जाएगा।

  • शुभ मुहूर्त
  • शाम 5ः29 से 6ः48 बजे
  • चंद्रोदय- 8ः16 बजे
  • चतुर्थी तिथि आरंभ- 03ः24 (4 नवंबर)
  • चतुर्थी तिथि समाप्त- 05ः14 (5 नवंबर)

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