Rani Kamlapati: digi desk/BHN/ भोपाल/ जिन रानी कमलापति के नाम पर अब हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रखा जा रहा है, उनका इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। गोंड शासक रानी कमलापति ने अफगान शासक दोस्त मोहम्मद से बचने के लिए कमलापति महल के बाहर जल समाधि ले ली थी। भोपाल में उस स्थान पर आज रानी की भव्य प्रतिमा है। बड़ी झील की मेढ़ पर बना कमलापति महल एएसआई के अधीन है। पुरातत्ववेत्ता पूजा सक्सेना बताती हैं कि सन 1720 में गिन्नौरगढ़ पर गोंड शासक निजामशाह का अधिकार था। सन् 1720 में निजामशाह की हत्या उसके ही रिश्तेदार आलमशाह ने की थी, जिसके पीछे चैनपुरबाड़ी के जागीरदार जसवंत सिंह का हाथ माना जाता है वह रिश्ते में निजामशाह का भतीजा था। राज्य में अस्थितरता फैल जाने पर निजामशाह की रानी कमलापति गिन्नौरगढ़ के किले को छोड़कर भोपाल में बड़े तालाब के किनारे बने अपने किले में आकर रहने लगी। इस बीच अफगान दोस्त मोहम्मद भोपाल पर अधिकार का प्रयास कर रहा था। इससे पहले वह जगदीशपुर पर अधिकार कर उसका नाम इस्लामनगर रख चुका था।
कहते हैं कि दोस्त मोहम्मद के बढ़ते दबाव के कारण रानी कमलापति ने अपने महल से छोटे तालाब की ओर कूद कर जान दे दी, तब यहां से कोलांस नदी की धारा बहती थी। निश्चित ही रानी के आखरी दिन संघर्ष भरे बीते होंगे, किंतु इसका लिखित इतिहास नहीं मिलता। केवल किंवदंती मिलती है जिसमें कहा गया कि रानी ने दोस्त मोहम्मद से बचने के लिए छोटे तालाब में कूद कर आत्मोत्सर्ग किया था। इसके उपरान्त दोस्त मोहम्मद ने गिन्नौरगढ़ के किले पर कब्जा कर लिया तथा उसने रानी के पुत्र नवलशाह को भी मार डाला।