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Chhath Parv: छठ का महापर्व शुरू, जानिए पूजा की जरूरी सामग्री और पूजा विधि 

Chhath Parv 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/  छठी मैय्या और सूरज देवता की आराधना का पर्व छठ पूजन का आरंभ 8 नवंबर दिन सोमवार से हो गया। छठ पूजा की शुरुआत कल नहाय-खाय से होगी। डूबते सूर्य को अर्घ्य 10 नवंबर को दिया जाएगा। 11 नवंबर को उगते सूरज को अर्घ्य देकर पूजा का समापन होगा। देश के कई हिस्सों में छठ पूजा के लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। अगर आप छठ पूजा का व्रत रखते हैं, तो आपको पता होना जरूरी है कि पूजन में क्या सामग्री की जरूरत होती है। आपको जल्द ही पूजन सामग्री खरीद लेनी चाहिए। आइए जानते हैं छठ पूजा के लिए कौन-सी सामग्रियों की आवश्यकता हैं।

  • 1. व्रत रखने वाली महिलाओं को साड़ी, सूट और पुरुषों को कुर्ता-पजामा पहनना चाहिए।
  • 2. पीतल या बांस का बना सूप।
  • 3. बांस की दो टोकरियां। छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए।
  • 4. एक ग्लास, लोटा और थाली।
  • 5. पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे होना चाहिए।
  • 6. हल्दी, मूली और अदरक।
  • 7. पानी वाला नारियल।
  • 8. शरीफा, केला, नाशपाती और नींबू।
  • 9. दीया, चावल, धूपबत्ती और सिंदूर।
  • 10. पान और सुपारी
  • 11. शकरकंद, शहद, गुड़ और मिठाई।
  • 12. चंदन, अगरबत्ती, धूप, कुमकुम और कपूर।
  • 13. गेहूं और चावल का आटा।

मंगलवार को खरना, 10 को पहला अर्घ्य और 11 को समापन

नहाय-खाय के बाद कार्तिक शुक्ल की पंचमी मंगलवार को व्रती पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व रवियोग में खरना का प्रसाद खीर, रोटी ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी। बुधवार 10 नवंबर को सूर्योपासना के तीसरे दिन छठ व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। गुरुवार को छठ व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन करेंगी। व्रती नहाय-खाय के दिन गंगा स्नान करने के बाद प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना की दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय पर्व का अनुष्ठान शुरू करेंगी। छठ पर्व को लेकर उत्तर भारतीय परिवारों में उत्साह है। कई परिवार पूजन कर छठ मैय्या से मनोकामना मांगने तो कई परिवार मनोकामना पूरी होने पर पूजन व प्रसाद अर्पित करेंगे। सोमवार को नहाय-खाय से यह पर्व शुरू होगा। मंगलवार को खरना प्रसाद खाने के बाद महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास रखेंगे। खरना गाय के दूूध व गुड से बनी खीर व रोटी का भोग छठ मैय्या को लगाया जाएगा। इसके बाद मंगलवार शाम से व्रत प्रारंभ होगा। दस नवंबर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद 11 नवंबर सुबह डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद महिलाएं 36 घंटे से रखे निर्जला व्रत का पारणा करेंगी।

ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग

इस बार महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बना है। ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि सुकर्मा योग में नहाय-खाय के दिन व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगी। सुकर्मा योग में नहाय-खाय के दिन व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगी। वहीं, मंगलवार नौ नवंबर को लोहंडा यानी (खरना), 10 नवंबर बुधवार को सायंकालीन अर्घ्य एवं 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महापर्व का समापन करेंगी।

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