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Ram Setu Stone: राम नाम लिखने पर तैर गए थे जो पत्थर, उन पर होगा रिसर्च, लैब में बनेंगे ऐसे ही पत्थर

Ram Setu Stone:digi desk/BHN/ उज्जैन/ माता सीता को लंका से लाने के लिए भगवान श्री राम ने भारत से लंका तक के लिए तैरते पत्थरों के एक सेतु का निर्माण कराया था, जिसे आज हम रामसेतु के नाम से जानते हैं। नल-नील ने पत्थरों पर राम नाम लिखकर इस सेतु का निर्माण किया था। अब रामसेतु के इन्हीं पत्थरों पर उज्जैन में रिसर्च होने जा रहा है। इस रिसर्च में इनकी तरह मटेरियल का निर्माण किया जाएगा। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने यहां के शासकीय इंजीनियरिंग कालेज के साथ मेमोरेन्डम ऑफ अंडरस्टेडिंग (एमओयू) साइन किया। जिसके तहत विक्रम विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (एसओइटी) के विद्यार्थी गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज की लैब में प्रोजक्ट कर सकेंगे।

दोनों संस्थान के विद्यार्थी रामसेतु निर्माण में उपयोग किए तैरने वाले पत्थरों पर शोध कर समतुल्य मटेरियल का निर्माण करेंगे। यानी लैब में ही रामसेतु जैसे तैरने वाले पत्थरों का निर्माण किया जाएगा। बायो डिग्रेडेबल मटेरियल एवं मशरुम मायसिलियम का उपयोग कर ईट बनाएंगे। एमओयू पर हस्ताक्षर विक्रम विवि के कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय और कालेज प्राचार्य डा. जेके श्रीवास्तव ने किए।

बता दें कि एसओइटी की पढ़ाई पिछले कई वर्षों से अतिथि विद्वानों के भरोसे ही होती आई है। कई ब्रांच के विद्यार्थियों के पास प्रयोग करने को उन्नत लैब भी नहीं है। इस समस्या का समाधान विक्रम विवि ने कालेज से एमओयू कर कर लिया है। कुलपति ने कहा है कि प्राचीन ग्रन्थों और पुराणों का अध्ययन कर नवाचार एवं शोध को बढ़ाएंगे।
कालेज ने एनएचएआई और आईआईआईएम जम्मू के साथ भी एमओयू
गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटेग्रेटिव मेडिसिन (आइआइआइएम) जम्मू के साथ भी एमओयू साइन किया है। कालेज के पीआरओ डा. अतुलचंद्र शुक्ल ने कहा है कि कालेज के सिविल ब्रांच के विद्यार्थी अब इंटर्नशिप स्वरूप एनएचएआई के प्रोजेक्ट का सुपरविजन कर सकेंगे। इसके बदले उन्हें स्टायपेंड भी मिलेगा। कैमिकल ब्रांच के विद्यार्थी एवं शिक्षक आइआइआइएम जम्मू के साथ जुड़कर तीन वर्ष तक मेडिसिन रिसर्च कर सकेंगे। कालेज, बीते तीन वर्षों में 15 विभिन्न संस्थाओं से एमओयू साइन कर चुका है। एमओयू पर एनएचएआइ की ओर से प्रोजेक्ट डायरेक्टर एमएल पुरविया, तकनीकी प्रबंधक आलोक पांडे, उपप्रबंधक आशीष बिरला ने साइन किए।

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