Doors of kedarnath and yamunotri dham: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ शीतकाल के लिए चार धाम के कपाट बंद होने का सिलसिला जारी है। विधि-विधान के साथ केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए। दूसरी ओर गंगा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा पहुंच गई है। अब आगामी छह माह गंगा की पूजा-अर्चना मुखवा में ही होगी। शुक्रवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। वहीं, बदरीनाथ के कपाट 20 नवंबर को बंद किए जाएंगे। शनिवार को सुबह आठ बजे यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से शनिदेव की डोली यमुनोत्री धाम के लिए रवाना हुई। यमुना शनिदेव की बहन हैं। परंपरा के अनुसार, इसके बाद यमुना की पूजा-अर्चना की गई और दोपहर 12ः15 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। दोपहर बाद डोली खरसाली पहुंची। यहां यमुना की उत्सव मूर्ति को यमुना मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। शनिवार को केदारनाथ धाम में ब्रह्मामुहूर्त से कपाट बंदी की प्रक्रिया आरंभ हो गई थी। प्रातः छह बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर स्वयंभू शिव लिंग को विभूति व शुष्क ब्रह्माकमल के फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया।
सुबह ठीक आठ बजे कपाट बंद कर दिए गए। मंदिर की परिक्रमा के बाद बाबा केदार की डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई। डोली के साथ हजारों श्रद्धालु पहले पड़ाव रामपुर तक पहुंचे। यहां रात्रि विश्राम के बाद डोली रविवार सुबह गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी और सोमवार को डोली ओंकारेश्वर में विराजमान होगी।