Narak Chaturdashi: digi desk/BHN/ रायपुर/ पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव के पहले दिन मंगलवार को धनतेरस पर्व मनाया गया। दूसरे दिन बुधवार को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसे रूप चौदस भी कहा जाता है। इस बार रूप चौदस के दिन हस्त नक्षत्र, विष्कुंभ योग, आनंद योग अवकरण का संयोग बन रहा है। नरक चतुर्दशी पर शरीर पर तेल, औषधि, उबटन लगाकर स्नान करने की मान्यता है। मान्यता के अनुसार स्नान कर नदी में दीप दान करने की परंपरा भी निभाई जाती है।
श्रीकृष्ण ने किया था राक्षस नरकासुर का वध
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध करके उसे चंगुल से 16 हजार से अधिक युवतियों को मुक्त कराया था। राक्षस का संहार करने के बाद उनके शरीर पर लगे रक्त को साफ करने विविध सुगंधित द्रव्यों का लेप करके स्नान कराया गया था। इससे उनका रूप निखर गया था। इस मान्यता के चलते श्रद्धालु शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करके बेहतर स्वास्थ्य, साैंदर्य की कामना करेंगे।
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे एवं पं.विनित शर्मा के अनुसार नरक चतुर्दशी पर यम के साथ पंच देवों की पूजा की जाती है। सूर्योदय से एक घंटा 36 मिनट पहले अभ्यंग अर्थात पूरे शरीर में मालिश करने का विधान है। सरसों अथवा तिल के तेल से मालिश करके सरोवर स्नान करना चाहिए। यदि घर में स्नान कर रहे हों तो अपा मार्ग के पत्तों को जल में डालकर स्नान करें। इससे सौंदर्य बढ़ता है और पाप नष्ट हो जाते हैं।
दक्षिण दिशा में दीप जलाएं
नरक चतुर्दशी पर भी यमराज की पूजा करके दक्षिण दिशा में चतुर्मुख यम का दीप जलाएं। पितरों की भी पूजा की जाती है।
शुभ मुहूर्त
- शुभ – सुबह 5.02 से 5.50 तक
- अमृत – दोपहर 1.55 से 3.22 तक
- गोधूलि बेला -शाम 5.05 से 5.29 तक
- विजय मुहूर्त – रात 11.16 से 12.07 यमराज पूजन