Dhanteras 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ धनतेरस का त्योहार 2 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। धनतेरस कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सोना, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना गया है। इस साल धनतेरस के दिन शाम 06.30 बजे से रात 08.11 बजे तक पूजा और दीपदान के लिए शुभ है।
भगवान धन्वंतरि के पूजा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय दुर्लभ वस्तुओं, कामधेनु गाय, धनवंतरी और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को लक्ष्मी का समुद्र से अवतरण हुआ था। इसी कारण दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा और दो दिन पहले धनतेरस के दिन धन्वंतरि की आराधना की जाती है।
धन्वंतरि को पीतल प्रिय है
भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का एक रूप माना गया है। उनकी चार भुजाएं हैं। जिनमें दो हाथों पर शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। जबकि दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ अमृत कलश लिए हुए हैं। मान्यताओं के अनुसार यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है। इस कारण धन्वंतरि को पीतल बेहद पसंद है। धनतेरस के दिन खरीदी गई हर वस्तु शुभ फल देती है, लेकिन पीतल की खरीदारी करने से यह अधिक फलदायक साबित होती है। पीतल तांबा और जस्ता के मिश्रण से तैयार होता है। शास्त्रों में धार्मिक कार्यों में पीतल के बर्तन का महत्व बताया गया है।
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