Pegasus Spyware Case: digi desk/BHN/ जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाते हुए इस पूरे मामले की जांच एक्सपर्ट कमेटी को सौंप दी है। गौरतलब है कि पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं दायर की गई थी। आज इस मामले में सुनवाी के बाद चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी प्रकार की विवेकहीन जासूसी को बिल्कुल भी मंजूरी नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया है। इस जांच कमेटी में उनके साथ आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय भी हिस्सा होंगे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार का कोई साफ स्टैंड नहीं था, कोर्ट ने किसी भी प्रकार की निजता के उल्लंघन की जांच की बात कही है।
कमेटी का गठन का संकेत दे चुका था सुप्रीम कोर्ट
23 सितंबर को एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि वह एक कमिटी के गठन करना चाहते हैं। कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से कमिटी में शामिल होने में असमर्थता जताई है। इस कारण आदेश जारी करने में विलंब हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 15 याचिकाएं लंबित हैं। ये याचिकाएं वरिष्ठ पत्रकार एनराम, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा समेत कई जाने-माने लोगों की है।
याचिकाओं में राजनेताओं, पत्रकारों, पूर्व जजों और सामान्य नागरिकों की स्पाईवेयर के ज़रिए जासूसी का आरोप लगाया था। मामले की जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को आदेश सुरक्षित रखा था। इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि वह एक विशेषज्ञ कमेटी बनाएगी, जिसमें सरकार का कोई आदमी नहीं होगा। यह कमेटी कोर्ट की निगरानी में काम करेगी और कोर्ट को रिपोर्ट देगी।