Navratri 2021: digi desk/BHN/ देश में फिलहाल नवरात्रि पर्व चल रहा है और आज नवरात्रि का पांचवा दिन है। पांचवें दिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। 7 अक्टूबर से शुरू हो चुके नवरात्रि पर्व 14 अक्टूबर तक चलेंगे और इन दौरान नौ दिनों को अलग अलग देवी की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है। इस दौरान देवी मां खुश करने के लिए श्रद्धालु अलग-अलग विधान का पालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान देवी नौ दिनों के लिए विचरण के लिए धरती लोक पर आती है और अपने भक्तों का कष्ट दूर करती है। यही कारण है कि देवी के पूजा-पाठ के दौरान विशेष सावधानी और साफ-सफाई रखी जाती है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि हर राशि के जातक को खास किस्म का फूल देवी को अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से देवी जल्द प्रसन्न होती है, आइए जानते हैं कि किस राशि के जातक को कौन से रंग का फूल चढ़ाना चाहिए –
मेष – लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। गुलाब, लाल कनेर और कमल का फूल चढ़ा सकते हैं।
वृषभ – सफेद रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। नवरात्रि के दौरान बेला, हरश्रृंगार और सफेद गुड़हल के फूल चढ़ाना चाहिए।
मिथुन- इन लोगों को पीले कनेर, गेंदा का फूल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
कर्क – सफेद, गुलाबी रंग के फूल चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से माता रानी जल्द प्रसन्न होती है।
सिंह – सिंह राशि के जातक को गुलाब, कनेर के फूल मां दुर्गा को अर्पित करना शुभ होता है।
कन्या– इन लोगों को भी मां दुर्गा को गेंदा, गुड़हल, गुलाब आदि फूल अर्पित करना चाहिए।
तुला – सफेद रंग का फूल अर्पित करें। सफेद कमल, कनेर बेला या केवड़ा का फूल
वृश्चिक– जातक को लाल रंग के फूल चढ़ाना चाहिए। लाल रंग का फूल घर में सुख- समृद्धि लाएगा।
धनु – मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग के फूल जरूर अर्पित करें।
मकर–जातक को नीले रंग के फूल अर्पित करना चाहिए।
कुंभ – नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नीले रंग के फूल अर्पित करें।
मीन- इस राशि के जातकों को देवी को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग के फूल चढ़ाना चाहिए।
इन नियमों का सख्ती से करें पालन
नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और इस दौरान लहसुन-प्याज के अलावा तामसी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। उपवास के दौरान सामान्य नमक के स्थान पर सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। नवरात्रि के दौरान साफ-सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि के दौरान भक्तों को जमीन पर सोना चाहिए। नवरात्रि के अंतिम दिन कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन प्रसादी भी करना चाहिए और कन्या पूजन करना चाहिए। नवरात्रि में शेविंग आदि से नहीं करना चाहिए और घर में 9 दिनों तक अखंड दीपक जलाना चाहिए। काले रंग का कपड़ा भी इस दौरान शुभ नहीं होता है। साथ ही इस दौरान मांस, मछली, नशीले पदार्थ जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
भविष्य पुराण में दुर्गाष्टमी और महानवमी का उल्लेख
हिंदू धर्म में वर्ष में दो बार नवरात्रि महापर्व मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वसंत और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि के दौरान दुर्गाष्टमी और महानवमी पूजन का विशेष महत्व है। भविष्य पुराण में महानवमी व दुर्गाष्टमी पूजन के बारे में भगवान श्रीकृष्ण से धर्मराज युधिष्ठिर का संवाद मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि मां भगवती सम्पूर्ण जगत में परम शक्ति अनन्ता, सर्व व्यापिनी, भावगम्यम्, आद्या आदि नाम से विख्यात हैं। इसके अलावा देवी मां को माया, कात्यायनी, काली, दुर्गा, चामुण्डा, सर्वमंगला, शंकरप्रिया, जगत जननी, जगदम्बा, भवानी आदि रूपों में देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि अष्टमी व नवमी की तिथि को पूजते हैं। नवरात्रि पर्व के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री दुर्गा की पूजा के लिए विशेष महत्व है।