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Satna: रैगांव उप चुनाव: सीएम से दूरी और सांसद की खुन्नस पड़ी भारी!

पूर्व विधायक स्व. जुगुल किशोर बागरी के परिवार पर अब अपनी राजनीतिक साख बचने की जद्दोजहद

ना पिता की विरासत काम आई,ना भाजपा की सियासत..!
प्रतिमा बागरी जिन पर भाजपा अचानक मेहरबान हो गई…!

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ रैगांव विधानसभा उपचुनाव में जिस तरह से पूर्व विधायक के परिवार को दरकिनार कर भाजपा द्वारा नए चेहरे को सामने लाया गया है, इससे कयास लग रहे हैं कि पूर्व विधायक की सीएम से दूरी और स्थानीय सांसद से खुन्नस का यह परिणाम है। चर्चा है कि अपनी वाचालता और अक्खड़पन के कारण पूर्व विधायक जुगुल किशोर कई बार अपनी सरकार और अपने ही सीएम को परेशानी में डालते रहे हैं। इसके कारण उनकी सीएम से बहुत नजदीकी नही बन पाई। इसका असर क्षेत्र की विकास कार्यो में भी दिख रहा है। इसी तरह स्थानीय सांसद से भी उनकी अदावत कई मुद्दों पर बनी रही। यह कई बार पार्टी या फिर सरकारी कार्यक्रमों में सार्वजनिक तौर पर भी दिखाई दी।

टिकट के प्रबल दावेदार रहे पूर्व विधायक के पुत्र की भी सांसद से अदावत कुछ इसी तरह बनी हुई है। जानकारों का कहना है कि यही वजह है कि अब पूर्व विधायक के परिवार की राजनीति पर ब्रेक लगाने का यह पहला कदम है। राजनीतिक

कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा, जिन्हे स्व. जुगल किशोर बागरी परिवार पर भाजपा की चोट से दोनों हाथों में लड्डू नज़र आ रहे हैं..!

जानकारों की माने तो यदि इसमें नए चेहरे के तौर पर सामने आई प्रतिमा बागरी मैदान मार ले जाती हैं तो निश्चित ही पूर्व विधायक के परिवार की वारिसाना राजनीति पर पूर्ण विराम लग जाएगा..! राजनीति विरासत के लिए आपस मे उलझे पूर्व विधायक के दोनों पुत्र ‘प्रतिमा’ की ‘स्थापना’ को रोकने में कितनी सक्रियता दिखाते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन पिता के न रहने के बाद उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदियों ने उन्हें गहरी चोट दी है।

हालांकि पूर्व विधायक के परिवार से कोई यदि चुनाव मैदान में आता है तो द्विपक्षीय मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। इसका फायदा जुगलकिशोर के परिवार को कितना मिलता है यह तो चुनाव परिणाम के बाद तय होगा, लेकिन राजनीतिक जानकारों की माने तो अपनी विरासत बचाने के लिए पूर्व विधायक पुत्रों के पास यही एक रास्ता बचा है। यदि वो भाजपा के नए चेहरे को फ्लॉप साबित कर पाते हैं तो सम्भव है उन्हें आगे मौका मिले। बहरहाल आगे होगा क्या यह भविष्य के गर्त में है, पर भाजपा की इस टिकट घोषणा से कांग्रेस के मन मे लड्डू फूट रहा है, जबकि उनकी अपनी नाव में भी छेद है। रैगाव के इस रण में राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो यदी कांग्रेस चित्रकूट की तरह आखिरी दम तक एकजुट रही आई तो उसकी राह आसान हो जाएगी। क्योकि इस चुनाव में ‘कल्पना’ परिचय की मोहताज नही है। पिछले चुनाव में वह दूसरे नम्बर पर रही हैं हालाँकि वे पूर्व विधायक से करीब 17 हजार मतों से पीछे ही रही। भले ही प्रतिमा बागरी पूर्व विधायक के परिवार से है लेकिन वह रैगांव विधानसभा क्षेत्र के परिदृश्य से बाहर ही रही हैं।

क्षेत्र में पूर्व विधायक के पुत्र ही फ्रंट लाइन में रहे हैं। ऐसे में अब जब पूर्व विधायक के दोनों बेटे बाहर कर दिए गए हैं उसमें प्रतिमा जनता और अपने कुनबे के बीच अपनी कितनी पहचान बना पाती हैं यह अपने आप मे देखने लायक होगा। खास कर तब जब पूर्व विधायक का परिवार विरोध में खड़ा हो। क्षेत्र की जनता विकास कार्यो को लेकर पूर्व विधायक से भी बहुत खुश नही थी। वह क्षेत्र में करीब 30 साल से भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, सरकार में भी रहे लेकिन वह रैगांव को पिछड़े से अगड़ा नही बना पाए। इसका खामियाजा भी पार्टी को उठाना पड़ सकता है। क्षेत्र में सड़क में बिजली, पानी, रोजगार अहम मुद्दे हैं। प्रतिमा और उनकी पार्टी कितनी प्रमुखता से इस अपनी बात रख सकती हैं यह अहम होगा। हालांकि इन मुद्दों को लेकर क्षेत्र में विपक्ष में रही कांग्रेस भी जनआंदोलन का रूप नही दे पाई। बहरहाल जो भी हो पर रैगांव का रण होगा अब रोचक…!

 

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