Seoni Earthquake 3.6 reactor scale: digi desk/BHN//सिवनी/ जिला मुख्यालय सहित नागपुर रोड स्थित इलाके में एक अक्टूबर को सुबह 11.49 बजे रियेक्टर स्केल पर 3.6 तीव्रता का भूकंप का झटका दर्ज किया गया है। इससे पहले 21 सितंबर को भी 2.1 रियेक्टर स्केल का भूकंप दर्ज हुआ था। शुक्रवार को आए भूकंप के झटके से शहरवासी दहशत में आ गए। हालाकि भूकंप से किसी भी तरह की जानमाल के नुकसान होने की सूचना नहीं है। सिस्मोलाजी विभाग की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के अनुसार भूकंप का केंद्र नागपुर से 106 किलोमीटर दूर सिवनी पास करीब 5 किलोमीटर गहराई में दर्ज हुआ है।
पिछले सप्ताह भी आए थे झटके
गौरतलब है कि मुख्यालय से लगे डूंडासिवनी, छिड़िया व पलारी व आसपास के गांवों में एक बार फिर बीते एक पखवाड़े से भूकंप जैसे हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं। इससे एक बार फिर इन क्षेत्रों के लोगों में दहशत बढ़ गई है। पिछले साल भी सैकड़ों बार भूकंप जैसे तेज झटके महसूस किए गए थे। साथ ही पांच बार भूकंप रियेक्टर स्केल पर दर्ज किया गया था। भू विज्ञानी शहर से लगे चूना भट्टी व आसपास के क्षेत्र में जमीन के नीचे नई प्लेट्स बनने और ज्यादा बारिश के कारण कंपन होने की संभावना जता रहे हैं।
विज्ञानियों ने की जांच
शहर से लगे डूंडासिवनी, छिड़िया, चूनाभट्टी, आमा झिरिया व आसपास के इलाकों में बार-बार हो रहे तेज आवाज के साथ कंपन के पीछे के कारणों का पता लगाने भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र जबलपुर के भू विज्ञानियों ने कुछ दिन पहले क्षेत्रों में जाकर जांच की है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आ रही है कि हर 20 से 25 सालों में जमीन के नीचे नई प्लेट का सृजन होता है, इससे जमीन के अंदर हलचल होने व तेजी से ऊर्जा बाहर निकलने के कारण तेज आवाज के साथ भूकंप जैसे झटके आते हैं। ज्यादा बारिश की वजह से भी ऐसा होता है। चूना भट्टी व आसपास के क्षेत्रों में जमीन के नीचे काले पत्थर हैं। ज्यादा बारिश की वजह से इन पत्थरों के बीच ज्यादा पानी आने के कारण यहां मौजूद हवा फोर्स के साथ बाहर निकलती है, इसी वजह से भूकंप जैसे झटके आते हैं। हालांकि भू विज्ञानियों ने सिवनी व आसपास के क्षेत्रों में आ रहे भूकंप के झटकों के पीछे के स्पस्ट कारण नहीं बताए हैं। पिछले साल अक्टूबर-नवंबर माह में वैसे तो आधा सैकड़ा से अधिक बार क्षेत्र के लोगों ने भूकंप जैसे झटके महसूस किए थे। इसके चलते डूंडासिवनी व छिड़िया पलारी सहित आसपास के गांवों के लोगों ने घरों से बाहर कड़कड़ाती ठंड में रातें बिताई थी। लोगों के घरों में गहरी दरारें आ गई थी। वहीं पक्के मकान भी कमजोर हुए थे।