Jitiya Vrat 2021: digi desk/BHN/ हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत करने का विधान है। यह व्रत सप्तमी से लेकर नवमी तिथि तक चलता है। जितिया पर्व महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए रखा जाता है। देश के अलग- अलग हिस्सों में इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत नाम से जाना जाता है। इस साल यह व्रत 28 सितंबर को शुरू होगा और 30 सितंबर तक चलेगा।
क्या है इस व्रत का महत्व
जितिया व्रत संतान की लंबी आयु, निरोग जीवन, सुखी रहने की कामना के साथ किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाले इस व्रत में पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत की कथा सुनता है इसे कभी भी जीवन में संतान वियोग का सामना नहीं करना पड़ता। इस साल यह व्रत 28 सितंबर को नहाए खाए के साथ शुरू होगा। इसके बाद 29 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा और 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगी। हालांकि व्रत इसके साथ समाप्त नहीं होगा, बल्कि निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा, जो दशमी तिथि को यानी 30 सितंबर को खत्म होगा।
जितिया व्रत पूजन विधि
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इस पूजा के लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत के जौरान मिट्टी में गाय का गोबर मिलाकर उससे चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। इन दोनों मूर्तियों के माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद अपने हिसाब से दान और दक्षिणा भी देना चाहिए।