Edible Oil price: digi desk/BHN/तेल की कीमते पिुछले एक साल में आसमान छू रही हैं। चाहे खाने का तेल हो या पेट्रोल-डीजल सभी चीजों की कीमतें काफी तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि सरकार ने खाने के तेल की कीमतें कम करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय अब एक्शन में आ गया है। खाद्य सचिव ने राज्यों के प्रतिनिधियों और तेल इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से मुलाकात के बाद उम्मीद जताई है कि अक्टूबर से खाने के तेल की कीमतें कम होंगी।
सरकार के अनुसार इस साल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती काफी अच्छी है और बंपर पैदावार की उम्मीद है। हालांकि इन राज्यों में काफी बारिश भी हुई है पर सोयबीन की फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने से कीमतों में कमी आएगी और आम जनता को खाने का तेल काफी कम कीमतों में मिलेगा। राज्यों की मानें तो यहां उत्पादन पिछले साल के मुकाबले और अधिक होगा। वहीं अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भी पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इसका असर देश में भी देखने को मिलेगा और आने वाले समय में सोयाबीन तेल की कीमतें कम होंगी।
जमाखोरी के खिलाफ भी सरकार सख्त
भारत सरकार ने कुछ महीने पहले खाद्य तेल की कीमतें कम करने के लिए कस्टम दरों में कटौती की थी और आयात शु्ल्क भी कम किया था। इसके बावजूद खाने के तेल की कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं आया है। इसका मतलब साफ है कि जमाखोर अपने पास तेल जमा करके कीमतें बढ़ा रहे हैं। जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कारोबारियों, व्यापारियों, प्रसंस्करण करने वाली इकाइयों को अपने स्टॉक का खुलासा करना होगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत यह अधिकार राज्य सरकारों को दे दिया गया है।
अब तेल का स्टॉक होगा सार्वजनिक
भारत सरकार ने दलहन के लिए पहले से यह व्यवस्था कर रखी है कि सभी को अपना स्टॉक सार्वजनिक करना पड़ता है। अब तिलहन फसलों और तेल के लिए भी एक पोर्टल लाया जाएगा। इस पोर्टल में व्यापारी यह बताएंगे कि किसके पास कितना तेल स्टॉक में है। यह पोर्टल अगले हफ्ते तक लॉन्च होगा और सरकार इसे मॉनिट करेगी।