Madhya Pradesh Strike alert: digi desk/BHN/ भोपाल/ प्रदेश की बिजली कंपनियों के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने सरकार को फिर 15 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है। ये सभी उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा 23 अगस्त की बैठक में दिए गए आश्वासन के अनुरूप कार्रवाई नहीं होने से नाराज हैं। इनकी तरफ से यूनियन फोरम ने मंत्री के नाम बुधवार को एक पत्र प्रेषित किया है। जिसमें चेतावनी दी है कि कार्रवाई नहीं हुई तो 15 दिन बाद प्रदेश भर में काम बहिष्कार करेंगे। इसके बाद बिजली आपूर्ति बंद होती है तो उनकी जिम्मेदारी नहीं रहेगी।
तीनों विद्युत वितरण कंपनियां, पावर मैनेजमेंट कंपनी, पावर जनरेटिंग कंपनी के अभियंता और बिजली कर्मचारी निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि अभी निजीकरण शुरू नहीं हुआ है, लेकिन जल्द ही सरकार बिजली कंपनियों का निजीकरण करने जा रही है। इसकी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। उत्तरप्रदेश में निजीकरण के लिए टेंडर निकाले गए थे। जिसका बिजली कर्मियों ने तीखा विरोध किया, जिसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। मप्र में भी इस तरह की कोशिशें हो चुकी हैं।
बिजली कंपनी के इंजीनियरों व कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले यूनाइटेड फोरम के संयोजक वीकेएस परिहार का कहना है कि निजीकरण से लाखों कर्मचारियों का आर्थिक नुकसान होगा। कंपनियां निजी हाथों में जाएंगी तो उपभोक्ता भी परेशान होंगे। ठीक से सुनवाई नहीं होगी। मनमाने तरीके से बिजली के दाम देने पड़ेंगे। प्रदेश में रोजगार के अवसर घटेंगे। निजी कंपनियां बाहर के लोगों से काम कराएंगी। सरकार की तरह कर्मचारियों को वेतन व अन्य लाभों का भुगतान भी नहीं करेगी। बिजली कंपनियों में आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारियों के साथ यही किया जा रहा है। उन्हें समय पर बोनस की राशि का भुगतान नहीं हो रहा है। वेतन भी कम है। उनके हितों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ये सभी समस्याएं निजीकरण से और बढ़ जाएंगी। बिजली कंपनी के सभी कर्मचारी संगठन विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा और भी मांगों को लेकर विरोध दर्ज कराया जा रहा है। इन सभी मांगों से मंत्री को अवगत कराया था। उन्होंने मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कार्रवाई नहीं हुई है।