Dengue Fever Explanation: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ देश के कई राज्यों में इन दिनों डेंगू बुखार का प्रकोप है और उत्तरप्रदेश का गाजियाबाद में तो अभी तक कई लोगों की मौत हो हो चुकी है। डेंगू बुखार को कई स्थानों पर हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। इस बुखार में दरअसल शुरुआत में सामान्य बुखार आता है, इस कारण से डेंगू बुखार को शुरुआत में समझ पाना काफी कठिन होता है। ऐसे हालात में जब देश में कई राज्यों में डेंगू भी फैल रहा हो तो सामान्य बुखार में भी सतर्क हो जाना चाहिए और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करके सभी टेस्ट करा लेना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के जोखिम से बचा जा सके। डेंगू बुखार होने पर थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है।
मच्छर के काटने से होता है डेंगू
दरअसल डेंगू बुखार एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने के 3 से 5 दिन के बाद डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। एडीज मच्छर को पूरी तरह से खत्म कर पाना संभव नहीं है और यह मच्छर गर्म माहौल में भी जिंदा रह सकता है। एडीज इजिप्टी मच्छर के अंडे इतने बारीक होते हैं कि इन्हें आंखों से नहीं देखा जा सकता है।
शुरुआत में बुखार सामान्य रहता है लेकिन 2 से तीन दिन के बाद मरीज को ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार आने लगता है। सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने लगता है। आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना और कमजोरी लगने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा भूख न लगना, जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना और गले में हल्का दर्द होने भी महसूस होता है। मरीज के चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज दिखाई देने लगते हैं।
बुखार की जांच
डेंगू की लेबोरेटरी जांच में मरीज के खून में एंटीजन IgM और IgG व प्रोटीन NS-1 देखे जाते हैं। NS-1 की मौजूदगी से यह जानकारी मिलती है कि मरीज के रक्त में डेंगू वायरस का संक्रमण है या नहीं। IgM और IgG में से अगर केवल IgG पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि मरीज को पहले कभी डेंगू रहा है। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स और PCV का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है। PCV ब्लड में रेड ब्लड सेल्स का प्रतिशत बताता है। सामान्य रूप से पुरुषों पीसीवी 45 फीसदी और महिलाओं में 40 फीसदी होता है। डेंगू से प्रभावित मरीजों में PCV बढ़ रहा है तो खतरनाक होता है।
डेंगू को रोगी इलाज के प्रति रहें सावधान
डेंगू के मरीजों को लापरवाही बिल्कुल भी नहीं बरतना चाहिए। तत्काल डॉक्टर को दिखाकर इलाज शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा कुछ घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक दवाओं से भी डेंगू को काबू में किया जा सकता है। आयुर्वेद में गिलोय का बहुत महत्व है। 1 कप पानी में 1 चम्मच गिलोय का रस पीना फायदेमंद रहता है। इसके अलावा पपीते के पत्ते का रस डेंगू फीवर को कम करने में मदद करता है। डेंगू के मरीजों को ‘बकरी का दूध देना अच्छा होता है क्योंकि यह सुपाच्य होता है। बकरी का दूध डेंगू के बुखार से निकलने में काफी कारगर होता है। डेंगू के मरीजों को खाने में हल्दी का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। मरीज को सुबह साम आधा चम्मच हल्दी पानी के साथ या रात को आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध या पानी के साथ लें। 8 से 10 तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौने गिलास पानी में उबालें।