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भगोड़ा जाकिर नाईक है UP अवैध धर्मांतरण रैकेट का ‘आका’, SIMI और PFI भी शामिल

लखनऊ.
 उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का खुलासा होने के बाद अब भगोड़े कट्टरपंथी इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक और उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय एजेंसियों को इस मामले में विदेशी फंडिंग के अहम सुराग मिले हैं, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE), तुर्की, दुबई, कनाडा, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (UK) और अन्य इस्लामिक देशों से धनराशि आने की बात सामने आई है. जांच में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे प्रतिबंधित संगठनों की भूमिका भी सामने आ रही है.

जांच एजेंसियों के अनुसार, बलरामपुर जिले में छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के नेतृत्व में एक संगठित गिरोह अवैध धर्मांतरण का जाल चला रहा था. छांगुर बाबा को उत्तर प्रदेश पुलिस की ATS ने हाल ही में गिरफ्तार किया था. जांच में पता चला कि इस नेटवर्क का उद्देश्य भारत-नेपाल सीमा के जिलों, विशेष रूप से बलरामपुर, को निशाना बनाकर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराना था. इस रैकेट में महिलाओं और नाबालिगों को विशेष रूप से टारगेट किया गया, जिन्हें बहला-फुसलाकर या जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था.

जाकिर नाईक और विदेशी फंडिंग का कनेक्शन

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस अवैध धर्मांतरण रैकेट को विदेशों से भारी फंडिंग प्राप्त हो रही थी, जिसमें जाकिर नाईक और उनकी संस्था IRF की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. सूत्रों के अनुसार, UAE, तुर्की, कनाडा, अमेरिका, UK और अन्य इस्लामिक देशों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग का मनी ट्रेल सामने आया है. ED ने छांगुर बाबा के पांच विदेशी बैंक खातों की पहचान की है, जो UAE में हैं, और इन खातों में संदिग्ध लेनदेन की जांच की जा रही है. इसके अलावा, आयकर विभाग ने फरवरी 2025 में अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट में अवैध धर्मांतरण, मस्जिदों, मदरसों और मजारों के निर्माण के लिए विदेशी फंडिंग की आशंका जताई थी, जिसे गृह मंत्रालय को भी भेजा गया था.

2016 से फरार है जाकिर नाईक

जाकिर नाईक, जो 2016 में भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों के बाद मलेशिया फरार हो गया था, लंबे समय से अवैध धर्मांतरण और कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल है. उनकी संस्था IRF और पेस टीवी पर भारत, बांग्लादेश, कनाडा, श्रीलंका और UK में प्रतिबंध लगा हुआ है. ED की जांच में यह भी सामने आया है कि नाईक ने अपनी संस्था के जरिए 2003 से 2017 के बीच UAE, सऊदी अरब, बहरीन, कुवैत और ओमान जैसे देशों से 64 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध फंडिंग प्राप्त की थी, जिसका उपयोग भारत में संपत्तियां खरीदने और कट्टरपंथी सामग्री प्रसारित करने में किया गया.

सिमी और पीएफआई की भूमिका

जांच में प्रतिबंधित संगठन सिमी और PFI की भूमिका भी सामने आई है. सूत्रों के अनुसार, छांगुर बाबा का नेटवर्क इन संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा था. PFI के कुछ नेताओं, जो पहले सिमी से जुड़े थे, ने मध्य पूर्व के देशों से फंडिंग जुटाने और भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ED ने PFI के नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में केरल और UAE में रियल एस्टेट और अन्य व्यवसायों के जरिए धन शोधन के सबूत भी पाए हैं.

गृह मंत्रालय और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई

केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी गई आयकर विभाग की रिपोर्ट में भारत-नेपाल सीमा के जिलों में अवैध धर्मांतरण और कट्टरपंथी गतिविधियों के लिए विदेशी फंडिंग का जिक्र किया गया था. इस रिपोर्ट के आधार पर ED और अन्य केंद्रीय एजेंसियां अब इस नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की दिशा में काम कर रही हैं. बलरामपुर में छांगुर बाबा के ठिकानों पर ED ने हाल ही में 14 स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें मुंबई के बांद्रा और माहिम में भी कार्रवाई की गई. जांच में 2 करोड़ रुपये के एक संदिग्ध लेनदेन का पता चला, जो छांगुर के सहयोगी शहजाद शेख के खाते में ट्रांसफर किया गया था.

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