रीवा, सतना, सीधी आदि में तीन से चार घंटे बिजली कटौती
Power cuts in MP 514 MW power over draw in state: digi desk/BHN/ भोपाल/ मध्य प्रदेश में बिजली के इंतजाम करने में पूरा तंत्र कुप्रबंधन का शिकार है। समय रहते व्यवस्था नहीं करने से सोमवार को 514 मेगावाट बिजली ओवर ड्रा करनी पड़ी। प्रदेश में उत्पादन क्षमता कम होने और बिजली संयंत्रों की कई यूनिटें बंद होने से यह स्थिति निर्मित हुई है। प्रदेश में बिजली संकट के बीच राज्य सरकार पर इससे आर्थिक बोझ भी आएगा। ओवर ड्रा की स्थिति वह होती है, जब कोई राज्य तय सीमा से अधिक बिजली केंद्र से खरीदता है। इसके बदले आठ रुपये प्रति यूनिट भुगतान केंद्रीय सेक्टर को करना होता है। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश सरकार ने 21 हजार मेगावाट बिजली खरीदने का पावर परचेस एग्रीमेंट (पीपीए) कर रखा है। उधर, पूरे प्रदेश में बिजली संकट व्याप्त है। दिनभर अघोषित बिजली कटौती की स्थिति रही। यह कटौती 1,122 से अधिकतम 1,763 के स्तर पर पहुंची।
जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में इतनी बिजली कटौती
- – खंडवा जिले में रात में दो-तीन बार।
- – झाबुआ में नौ घंटे।
- – मंदसौर में दो से चार घंटे।
- – नीमच में चार से छह घंटे।
- – धार में तीन से छह घंटे।
- – खरगोन में तीन से चार घंटे।
- – जबलपुर संभाग में एक से चार बजे के बीच एक से डेढ़ घंटा बिजली कटौती।
- – रीवा, सतना, सीधी आदि में तीन से चार घंटे बिजली कटौती
- – ग्वालियर-चंबल संभाग में भी बिजली कटौती जारी है।
भाजपा विधायकों ने ही सरकार को घेरा, कांग्रेस के तीखे तेवर
अघोषित कटौती के मुद्दे पर भाजपा विधायक ही सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। अब विधायक राकेश गिरी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर 12 से 15 घंटे अघोषित बिजली कटौती की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि जनता में रोष है। किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। इससे पहले भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और अजय विश्नोई भी इस मुद्दे पर मुखर हो चुके हैं। त्रिपाठी ने तो आंदोलन की चेतावनी भी दी है। कांग्रेस भी इस मामले में हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है।
कई-कई घंटों की अघोषित कटौती की जा रही है। कोयले की कमी के कारण कई ताप विद्युत परियोजनाएं बंद होने के कगार पर हैं। कांग्रेस इस मामले में प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश को अंधेरे युग में ढकेल दिया है। सरकार द्वारा शासकीय विद्युत उत्पादन इकाइयों को बंद किया जा रहा है और निजी क्षेत्र की कंपनियों से महंगे दामों पर बिजली खरीदी जा रही है। चार साल पहले जो सरकार सरप्लस बिजली के नकली दावे कर रही थी। वही सरकार आज अघोषित कटौती कर रही है। मालूम हो, वर्ष 2003 में दिग्विजय सिंह सरकार के समय बिजली कटौती प्रमुख मुद्दा रहा था और उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।