छतरपुर /महाराजपुर, भास्कर हिंदी न्यूज़/ किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पहले उन्हें किसान सम्मान निधि दी गई और अब निधि की वसूली के लिए किसानों को नोटिस थमाए जा रहे हैं। जिससे किसानों में असंतोष व आक्रोश पनपने लगा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में किसानों को प्रतिवर्ष तीन किश्तों में 6000 रुपये दिए गए, इसका किसानों को लाभ भी मिला, मगर अब महाराजपुर तहसील के सैकड़ों किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि वापस करने के नोटिस मिलने से वे परेशान हो गए हैं। इन नोटिसों से परेशान किसान समस्या के समाधान के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। वे सरकारी दफ्तरों से लेकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। नोटिसों को लेकर आक्रोशित किसानों का कहना है कि सरकार ने पैसे दिए हैं, हमने मांगे नहीं थे।
सम्मान निधि के रूप में मिले 2000 रुपये और वसूली के नोटिस 10000 रुपयों के मिलने से वे हैरान हैं कि आखिर इतनी बड़ी राशि वे कैसे लौटा पाएंगे।उल्लेखनीय है कि इन नोटिसों में स्पष्ट उल्लेख है कि रुपये जमा न करने पर संपत्ति की कुर्की की जाएगी और जेल तक भेजा जाएगा।
किसानों के तर्क के आगे अधिकारी मौन
इस पूरे मामले में किसानों के तर्कों के आगे अधिकारी मौन हैं, या सवालों से बच रहे हैं। किसानों का कहना है उनके खाते में सम्मान निधि डाली गई, इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है, किसान या वे अधिकारी जिन्होंने किसानों को पात्र बनाकर लाभ पहुंचाया है। उनका कहना है कि गांव के लोगों से हल्का पटवारी पूरी तरह से परिचित रहते हैं, वे ही इस योजना के लिए पात्र या अपात्र किसान बनाकर जानकारी भेजते हैं। अब जब किसानों को नोटिस दिए जा रहे हैं तो पहले उन्हें पात्र बनाने वाले पटवारियों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। इस सवाल का अधिकारी गोलमोल जवाब देकर अपनी जवाबदारी से बचकर पूरी तरह से किसानों के सिर पर ही ठीकरा फोड़ रहे हैं। अधिकारियों का इस बारे में तर्क किसानों का रास नहीं आ रहा है।