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History of one rupee: आज पूरे 264 साल का हो गया है 1 रूपये का सिक्का, जानिए, इसका इतिहास

History of one rupee: digi desk/BHN/ जब भी हम बाजार से कुछ खरीदते हैं तो उस पर मौल-भाव जरूर करते हैं और एक-एक रूपये कम करवाकर उस चीज को खरीदते है। ऐसे में हम सभी जानते हैं कि एक रूपये के सिक्के का हमारे जीवन में कितना महत्व है। इसी सिक्के को अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ाकर देखें तो अच्छे-अच्छों की बोलती बंद हो जाती है। इसके अलावा मानव जीवन में इसकी उपयोगिता के साथ-साथ कई मुहावरों के रूप में भी सिक्कों का इस्तेमाल किया जाता है। चलिए आज इन्ही सिक्कों से जुड़ी कुछ रोचक बातों पर एक नजर डालते हैं, जिसके बारे में शायद आपको भी न पता हो।

ऐसे हुआ अंग्रेजों का शासन शुरू

भारत में अंग्रेजों के आगमन की अगर बात करें तो यह 1600ई. से पहले यहां आ गए थे, और ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हो चुकी थी। ये एशिया में सिल्क, काॅटन, नील, चाय और नमक का व्यापार करते थे। यह उस समय की बात है, जब दिल्ली पर मुगलों का शासन था। इस दौरान ईस्ट इंडिया का भारतीय शासन में किसी भी प्रकार का कोई दखल नहीं था। लेकिन 1957 में प्लासी की लड़ाई की जीत के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में शासन के अधिकार आना शुरू हो गए थे।

कोलकाता में रखी गई टकसाल की नींव

प्लासी के युध्द के बाद बंगाल के नवाब के साथ अंग्रेजों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया जिसके बाद से ही उन्हें सिक्के बनाने का अधिकार मिल गया और कंपनी ने कोलकाता में टकसाल की नींव रखी। इसके बाद अंग्रेजो द्वारा 19 अगस्त 1757 को पहला सिक्का जारी किया गया। हालांकि कंपनी ने इससे पहले अहमदाबाद, बाॅम्बे और सूरत में भी टकसाल की स्थापना की थी लेकिन एक रूपये का सिक्का पहली बार कोलकाता के ही टकसाल में जारी हुआ था।

अलग-अलग जगह हुई टकसाल की स्थापना

संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने अलग-अलग जगह पर टकसाल की स्थापना की थी। सबसे पहले इसकी स्थापना सूरत में हुई थी, लेकिन वहां जरूरत के अनुसार सिक्के नहीं बन पा रहे थे। इसलिए 1636 में अहमदाबाद में इसकी शुरूआत की गई। फिर उसके बाद 1672 में बाॅम्बे में सिक्के बनाने का काम शुरू किया गया। हालांकि तब पूरे देश में एक तरह के सिक्के का चलन नहीं था। बंगाल, मद्रास और बाॅम्बे प्रेसिडेंसी में अलग-अलग सिक्के चलते थे। इसके कारण व्यापार में कई तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता था।

यूनिफाॅर्म काॅइनेज एक्ट पारित

हर जगह अलग-अलग सिक्के व्यापार में परेशानी बन रहे थे जिसे देखते हुए 1835 में यूनिफाॅर्म काॅइनेज एक्ट पारित कर सभी प्रेसिडेंसी में एक जैसे सिक्के बनाये जाने लगे। इन सिक्कों पर एक तरफ ब्रिटिश किंग विलियम चतुर्थ का हेड और उसके दूसरी तरफ पर्शियन में सिक्के की कीमत छपी होती थी। 1857 के विद्रोह के बाद जब भारतीय शासन अंग्रेजो के अधीन हो गया तब से सिक्के पर ब्रिटिश्श मोनार्क की तस्वीरें छपनी शुरू हो गईं थीं। ये सिक्के 1947 के बाद 1950 तक जारी रहे। भारतीय एक रूपये का सिक्का 1962 में चलन में आया जो आज भी बाजारों में धड़ल्ले से चल रहा है।

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