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MP Flood in Sheopur: खुद का मकान ढहने के बावजूद बाढ़ में फंसे 300 लोगों की बचाई जान

Flood in Sheopur:digi desk/BHN/ श्योपुर/ खुद का मकान ढहने के बाद भी अख्तर भाई बाढ़ में फंसे लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हटे। अख्तर खान और उनके बेटे ने बाढ़ में फंसे सैकड़ों लोगों को नाव से रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला। उनके इस कार्य की शहर में लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। 3 अगस्त को श्योपुर में आई बाढ़ के कारण गांधी नगर इलाके में सैकड़ों लोग फंस गए थे। महिलाएं-बच्चे छत पर खड़े होकर मदद की गुहार लगा रहे थे, लेकिन बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए प्रशासन की तरफ से कोई रेक्स्यू नहीं चलाया गया।

ऐसे में वार्ड 13 गांधीनगर निवासी अख्तर भाई व उनके बेटे शहंशाह लोगों की जान बचाने के लिए आगे आए। झमाझम बारिश के बीच पिता-पुत्र अलग-अलग नाव लेकर लोगों को बचाने में जुट गए। उन्होंने मस्जिद से लेकर मंडी के पीछे वाले इलाके तक नाव के सहारे 300 के करीब लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक यह रेस्क्यू चलाया गया। इसके बाद अगर किसी लोगों के बाढ़ में फंसने की सूचना मिली, तो उन्होंने मौके पर जाकर उन्हे निकालने का काम किया। खास बात यह है कि जो इलाका पानी में डूबा था उसी इलाके में अख्तर भाई रहते हैं और उनके घर तक भी बाढ़ का पानी पहुंच गया था फिर भी उन्होंने घर-परिवार की चिंता करे बगैर लोगों मदद की।

ट्यूब व मटके से सहारे तैरकर ढूंढा बाढ़ में फंसे लोगों को

अख्तर भाई के साथ वार्ड के निशार खान और सलीम भाई भी मदद करने जुटे थे। यह दोनों युवाओं ने ट्यूब और मटके के सहारे तैरकर गली-गली में जाकर बाढ़ में फंसे लोगों की तलाश की। जहां भी बाढ़ में फंसे लोग मिलते थे, वह तुरंत इसकी सूचना अख्तर खान को देते थे, फिर अख्तर भाई वहां नाव लेकर पहुंचते और लोगों को बाहर निकालकर लाते। एक बार में नाव में 7-8 लोगों को बैठाकर बाहर निकालते थे। इसी तरह दूसरी नाव से उनके बेटे व अन्य युवाओं ने मिलकर लोगों की जान बचाने का काम किया।

मछली पकड़ने का काम करते हैं अख्तर

अख्तर भाई कई सालों से पार्वती नदी में मछली पकड़ने का ठेका लेते हैं, उसी से अपने परिवार का पालन करते हैं। उनके घर पर लोहे के चद्दर से बनी पांच नाव रखी हुई थी। जब बाढ़ पानी वार्ड में भर गया तो वह तुरंत नाव लेकर बाढ़ में फंसे लोगों की मदद करने में जुट गए। एक नाव उन्होंने दूसरे लोगों बाढ़ फंसे लोगों की मदद करने के लिए दे दी, लेकिन नाव पानी में डूब गई और जब पानी उतरा तो दो दिन कमलाखेड़ी इलाके में मिली। गनीमत यह रही कि जिस समय क्षेत्र में पानी भरा उस समय उनके पास पर्याप्त नाव रखी हुई थी। बाढ़ में मकान ढह जाने के बाद अब वह और उनका परिवार एक किराए मकान रह रहा है।

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