Panchak Kaal 2021: digi desk/BHN/ सावन के महीना का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। इस माह में भगवान शिवजी की पूजा-आराधना करने से जातकों को लाभ मिलता है। सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस साल ये पावन महीना 25 जुलाई से शुरू हो गया है और 22 अगस्त तक रहेगा। सावन की शुरुआत के साथ पंचक काल भी शुरू हो गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार पंचक की शुरुआत रात 10 बजकर 48 मिनट से हुई हैं। जिसका समापन 30 जुलाई दोपहर 2 बजकर 3 मिनट पर होगा। ज्योतिषों के मुताबिक इन पांच दिनों में शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।
कब तक रहता है पंचक काल
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करने का काल पंचक कहलाता है। इसी तरह चंद्र ग्रह का कुंभ और मीन राशी में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम द्वारा रावण का वध करने की तारीख के समय के बाद से पांच दिन तक पंचक रहता है।
मान्यता है कि अगर किसी जातक की मौत पंचक काल के दौरान हो जाती है। उस परिवार में पांच अन्य लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। अगर निधन नहीं हो तो घरवालों को किसी प्रकार का रोग या कष्ट झेलना पड़ता है। इस स्थिति में गरुड़ पुराण में अंतिम संस्कार के खास तरीके बताए गए हैं। उनका पालन करने से दुखों का पहाड़ टल जाता है।
यह काम नहीं करना चाहिए
पंचक काल को अशुभ माना जाता है। इन पांच दिनों में विशेष कार्य करने की मनाही रहती है। पंचक काल में लकड़ी नहीं खरीदना चाहिए। घर के निर्माण में छत नहीं डलवाएं। बेड और चौपाई की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। पंचक काल के समय यात्रा करना अशुभ माना जाता है।