Sawan 2021: digi desk/BHN/ भगवान शिव का महीना सावन शुरू हो चुका है और शिव भक्तों ने अपने ईष्ट महादेव की पूजा कर दी है। भारत देश में सबसे ज्यादा मंदिर भगवान शिव के ही पाए जाते हैं। कई शिव मंदिर अपने आप में खास होते हैं। चाहे वो अमरनाथ के बाबा बर्फानी हों या उज्जैन के महाकाल। हर शिव मंदिर की अपनी खासियत होती है। हिमाचल के सोलन में जटोली शिव मंदिर भी इनमें से एक है। देवभूमि हिमाचल के प्रमुख शिव मंदिरों में शामिल जटोली का शिव मंदिर देश का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
यह शिव मंदिर 122 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां के पत्थर डमरू की तरह बजते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने खुद निवास किया था। यहां का जलकुंड भी कभी नहीं सूखता है। ऐसी मान्यता है कि यह एक संत की तपस्या का फल है। सावन में तो यहां दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है।
द्रविड़ शैली में बना है मंदिर
इस मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है, जिसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है। साथ ही मंदिर के ऊपर 11 फुट का विशाल सोने का कलश भी स्थापित किया गया है। इस तरह मंदिर की कुल ऊंचाई 122 फीट हो जाती है। यह मंदिर निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना है। यहां हर तरफ विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जबकि अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग स्थापित है। यहां भगवान शिव के साथ माता पार्वती की मूर्तियां भी हैं। मंदिर में लगे पत्थरों को थमथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है। लोगों का कहना है कि यह आवाज भगवान शिव के डमरू की है।
क्या है जलकुंड की कहानी
मान्यता के अनुसार 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के संत यहां आए थे उस समय सोलन में पानी की किल्लत थी। यह देखककर स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने घोर तपस्या की और अपने त्रिशूल से प्रहार किया तो जमीन से जलधारा फूट पड़ी। उसी से यहां ऐसा जलकुंड बना जिसमें बारह महीने पानी भरा रहता है। मान्यता के अनुसार इस कुंड के जल के सेवन से कई रोगों से मुक्ति भी मिलती है।
संत कृष्णानंद ने शुरू कराया था मंदिर का निर्माण
संत कृष्णानंद के मार्गदर्शन पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। साल 1974 में उन्होंने इस मंदिर की नींव रखी। लेकिन, साल 1983 में उन्होंने समाधि ले ली। हालांकि इसके बाद भी मंदिर का निर्माण कार्य जारी रहा और मंदिर प्रबंधन कमेटी इसका कार्यभार देखने लगी। जटोली शिव मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में करीब 39 साल लगे थे।