Kitchen Budget Increased: digi desk/BHN/रायपुर/ बीते दो सालों से कोरोनाकाल के दौरान हुए लाकडाउन ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर ने तो ज्यादा ही आर्थिक संकट पैदा किया है। अगर खाद्य तेलों की बात की जाए तो पिछले साल अप्रैल से जून तक जो खाद्य तेल 85 से 100 रुपये लीटर तक बिक रहा था। इस साल अप्रैल से जून तक उन खाद्य तेलों की कीमतें 140 रुपये लीटर से 210 रुपये लीटर तक पहुंच गई। विशेषकर फल्ली तेल तो 190 रुपये लीटर तक पहुंच गया था और सरसों तेल 200 रुपये पार करते हुए 210 रुपये लीटर तक पहुंच गया था।
जुलाई में 30-40 रुपये लीटर सस्ते हुए खाद्य तेल
जुलाई में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट शुरू हुआ और खाद्य तेलों में 30 से 40 रुपये लीटर की गिरावट आ गई। 190 रुपये लीटर तक बिकने वाला खाद्य तेल 160 रुपये लीटर और 210 रुपये लीटर में बिकने वाला खाद्य तेल 170 से 180 रुपये लीटर तक पहुंच गया। खाद्य तेलों के साथ ही अब दालों की कीमतों में भी गिरावट आई है। राहर दाल इन दिनों 110 रुपये किलो तक बिक रहा है। साथ ही 35 रुपये किलो तक पहुंच गया प्याज वापस 30 रुपये किलो आ गई है।
इस प्रकार रहा रसोई का बजट
माह उत्पाद कीमत
- जून 2020 खाद्य तेल 85 से 100 रुपये लीटर
- जून 2020 ब्रांडेड आटा 130 से 160 रुपये(प्रति पांच किलो)
- जून 2020 बिस्कुट 20 रुपये,70 रुपये
- जून 2020 शैंपू 150-160 रुपये
- जून 2020 साबुन 20 रुपये
- जून 2020 कपड़ा धोने का पाउडर 45-50 रुपये
- जून 2020 राहर दाल 90-105 रुपये किलो
माह उत्पाद कीमत
- जून 2021 खाद्य तेल 140 से 210 रुपये लीटर
- जून 2021 ब्रांडेड आटा 150 से 180 रुपये(प्रति पांच किलो)
- जून 2021 बिस्कुट 22 रुपये,75 रुपये
- जून 2021 शैंपू 190-200 रुपये
- जून 2021 साबुन 25 रुपये
- जून 2020 कपड़ा धोने का पाउडर 55-60 रुपये
- जून 2021 राहर दाल 100-120 रुपये किलो
पिछले साल की अपेक्षा 20 फीसद बढ़ा रसोई का बजट
रसोई का बजट भी पिछले साल कोरोना काल की अपेक्षा इस साल 20 फीसद तक महंगा हो गया है। यानी किसी उपभोक्ता के महीने का बजट पिछले साल 5,000 रुपये था, तो वह अब हर महीने 6,000 रुपये हो गया है।
कीमतों में मालभाड़े का असर
बताया जा रहा है कि सब्जियों के साथ ही खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ने के पीछे मुख्य कारण मालभाड़े में बढ़ोतरी है। मालभाड़ा काफी बढ़ गया है।