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फाटक क्षतिग्रस्त, खुले फाटक के बीच निकाला गया रेल इंजन
सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ शनिवार की दोपहर तकरीबन 2.30 बजे मुख्तयारगंज के बरदाडीह रेलवे फाटक में बड़ा हादसा होते-होते बचा। बिरला सीमेंट फैक्ट्री से लौट रहे रेल इंजन और बंद फाटक के बीच तकरीबन 25 भैंसे अचानक फंस गईं। इस बीच रेल इंजन के पायलट ने हार्न देना शुरू किया तो भैंसो के बीच भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में कुछ भैंसे इंजन से टकराईं तो कुछ फाटक से। गनीमत यह रही कि रेलवे पायलट ने चल रहे रेल इंजन की गति पर काबू पा लिया अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
फाटक हुआ क्षतिग्रस्त
इस घटना में रेलवे फाटक और इंजन के बीच फंसी दर्जनों भैंसे तो बच गईं लेकिन बूम फाटक क्षतिग्रस्त हो गया। बंद फाटक को जैसे ही खोला गया वैसे ही भैंसे इधर-उधर भागने लगीं और फाटक से टकरा गईं। भैंसों के फाटक से टकराने से रेलवे का फाटक क्षतिग्रस्त हो गया। फाटक के बंद न होने से किसी तरह रेलवे गेट में तैनात कर्मचारी ने रिस्क लेते हुए इंजन चालक को किसी तरह इंजन ले जाने को कहा। इसके बाद लोको पायलट इंजन को रेलवे फाटक से आगे लेकर रेलवे यार्ड की तरफ रवाना हो गया।
खतरे से खाली नहीं है बरदाडीह का रेलवे फाटक
उल्लेखनीय है कि बरदाडीह का रेलवे फाटक एवं उसके आस-पास का क्षेत्र हमेशा खतरे से घिरा रहता है। इसके पूर्व भी यहां कई घटनाएं हो चुकी हैं। पर बड़ी आबादी से गुजरने वाली इस रेलवे लाइन को न तो रेल प्रशासन और न ही जिला प्रशासन यहां से हटवा सका। गौरतलब है कि 90 के दशक में बिरला सीमेंट की ओर जाने वाले इस रेलवे ट्रैक में जबर्दस्त हादसा हुआ था जिसमें शंटिग के दौरान इंजन की ठोकर से क्लींकर से लोड तकरीबन 30 वैगन तेजी से लुढ़कने लगे और तेज रफ्तार से मालगोदाम मे लगे बैरिकेड्स को तोड़ते हुए पुराने पार्सल आफिस को धराशायी प्लेटफार्म के बाहर स्टेशन परिसर में जा कर खड़े हो गये। इस हादसे में कुछ लोगों की मौत भी हुई थी।
तत्कालीन कलेक्टर का आदेश रद्दी की टोकरी में
हादसे की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर एस.आर.मोहंती ने बिरला फैक्ट्री प्रबंधन को तत्काल इस रेलवे ट्रैक बंद करने तथा इसे बस्ती के बीच से हटाने के निर्देश दिये थे, परंतु इस बीच उनका ट्रांसफर हो गया और बिरला प्रबंधन ने फाइल को दस्तावेंज के चक्रव्यूह में दफन कर दिया।
आये दिन होते हैं हादसे
हजारों रहवासियों के लिये खतरनाक हो चुकी बिरला रेलवे लाइन में अक्सर हादसे होते रहे हैं। कुछ सालों पहले एक बोलेरो में सवार पांच लोग इंजन की चपेट में आ गये थे तथा रेल इंजन बोलेरो को घसीटता हुआ तकरीबन एक किलोमीटर तक ले गया था, वो तो जीप में सवार लोगों की किस्मत अच्छी थी जो इस हादसे में बच गये उन्हें सिर्फ चोटें ही आईं। इसके बाद अक्सर इस रास्ते से आवाजाही करते समय मालगाड़ी की चपेट में आते रहे हैं कभी किसी की मोटर साइकल फंस जाती है तो कभी ट्रैक से गुजरने वाली मालगाड़ी ही जाम हो जाती है जिसके चलते सड़क के दोनों तरफ लंबा जाम लग जाता है। जाम से परेशान लोग जान जोखिम में डाल कर मालगाड़ी के नीचे से निकलने का प्रयास करने लगते हैं।
दरक रहे हैं घर
रेलवे लाइन के किनारे बने तकरीबन हजारों घर मालगाड़ियों की तेज रफ्तार आवाजाही से दरकने लगे हैं। इंजन की धमक से लोगों के घरों में दरारें आ चुकी हैं। कुछ घर तो इस हालत में हैं कि अब गिरे-तब गिरे। इस रेलवे लाइन से गुजरने वाली मालगाड़ियां व इंजन छोटे बच्चों के लिए मुसीबत का कारण बनते जा रहे हैं। बरदाडीह रेलवे फाटक के पास छोटे बच्चों का स्कूल भी है लिहाजा स्कूली बच्चों का इस रास्ते पर आना-जाना बना रहता है। ऐसे में किसी भी दिन बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता।
नींद गायब..बहरे हो रहे लोग
रेल इंजन की दहाड़ और उसके हार्न की आवाज से ट्रैक के किनारे रहने वाले लोगों में बहरेपन की समस्या भी आ रही है। रहवासी बताते हैं कि रात में गुजरने वाले इंजन के शोर से नींद टूट जाती है जिससे नींद पूरी न होने से उन्हें अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने लगी हैं। बुजुर्गो का कहना है कि रेल इंजन की धमक से उनकी ह्रदयगति बढ़ जाती है जिससे उन्हें घबराहट होती है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन व रेल प्रशासन से मांग की है कि उक्त रेलवे ट्रैक को अन्यंत्र स्थानांतरित किया जाये वर्ना किसी दिन बड़ा हादसा सकता है।