MP Highcourt news: digi desk/BHN/जबलपुर/मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश के जरिये व्यवस्था दी है कि याचिकाकर्ता का एमएससी नर्सिंग का आवेदन स्वीकार किया जाए। प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता सागर निवासी शिखा रानू की ओर से अधिवक्ता मनोज चतुर्वेदी, विजय राघव सिंह, पूनम सिंह व अजय नंदा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से बीएससी नर्सिंग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद एमएससी नर्सिंग करना चाहती है। इसीलिए आवेदन जमा किया। लेकिन उसका आवेदन निरस्त कर दिया गया। राज्य शासन द्वारा मनमाना नियम बनाकर इग्नू व भोज मुक्त विश्वविद्यालय से बीएससी नर्सिंग करने वालों को एमएससी नर्सिंग में दाखिले से वंचित कर रहा है। आवेदन मंजूर करने की अंतिम तिथि नजदीक होने के आधार पर अविलंब राहत अपेिक्षत है। हाई कोर्ट ने इस बिंदु को ध्यान में रखकर अंतरिम आदेश पारित कर दिया। साथ ही नोटिस जारी कर मामले की आगे की सुनवाई की व्यवस्था दे दी।
मेडिकल विश्वविद्यालय से हटाई गई उप कुलसचिव को हाईकोर्ट से मिला स्टे
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर से हटाई गई उप कुलसचिव डॉ.तृप्ति गुप्ता को अंतरिम राहत प्रदान कर दी है। इसके तहत उन्हें पद से हटाए जाने वाले आदेश पर रोक लगा दी गई है। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता डॉ.तृप्ति गुप्ता की ओर से अधिवक्ता अमित सेठ ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मेडिकल विश्वविद्यालय, जबलपुर में परीक्षा परिणामों में गड़बड़ी को उजागर करने वाली सचेतक होने के बावजूद याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई। इससे साफ है कि जो लोग फंस रहे थे, उनके द्वारा प्रभाव व दबाव बनाकर फंसाया गया है। एक आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को मेडिकल विश्वविद्यालय से हटा दिया गया। इसके बावजूद याचिकाकर्ता अपने पद से हटने तैयार नहीं थीं। रिलीव न होने के बावजूद कुलपति व कुलसचिव ने दोबारा ऑफिस में आने से प्रतिबंधित कर दिया। इसी रवैये के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली गई। हाई कोर्ट ने पूरा मामला समझने के बाद अंतरिम राहत प्रदान कर दी।