Double bet of private schools in MP: digi desk/BHN//भोपाल/मध्य प्रदेश में मनमानी पर उतारू निजी स्कूल दोहरा दांव खेल रहे हैं। वे शिक्षक सहित अन्य कर्मचारियों को तो पूरा वेतन दे नहीं रहे और बच्चों से फीस पूरी लेना चाहते हैं। इतना ही नहीं, मनमानी फीस भी बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। जब सरकार ने इस पर रोक लगाई, तो निजी स्कूलों के संगठन ने 20 हजार स्कूलों में 12 जुलाई से ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने की चेतावनी देकर सरकार को चुनौती दे दी। संगठन कोरोना की तीसरी लहर की चिंता किए बगैर अन्य संस्थानों की तरह स्कूल भी खोलना चाहते हैं।
स्कूलों की फीस को लेकर करीब एक साल से अभिभावक, स्कूल और सरकार के बीच रस्साकशी चल रही है। कोरोना काल में आमदनी के संसाधन छिन जाने या सीमित होने से आर्थिक रूप से टूट चुके अभिभावक अधिक फीस देने की स्थिति में नहीं हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने पिछले साल और वर्तमान में सिर्फ शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) लेने के निर्देश दिए हैं। इसके पीछे तर्क है कि वर्तमान में कर्मचारियों के वेतन के अलावा स्कूलों का कोई खर्च नहीं है। यही व्यवस्था करीब आठ महीने पहले जबलपुर हाईकोर्ट ने दी थी।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि स्कूल, शिक्षक और अन्य कर्मचारियों को पूरा वेतन दें। जरूरी हो तो सिर्फ 20 फीसद ही वेतन काटें। बावजूद इसके, स्कूल मार्च 2020 से अपने कर्मचारियों को 50 फीसद ही वेतन दे रहे हैं। इतना ही नहीं, कई कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। फिर भी बच्चों से फीस पूरी लेने की चाहत है।
अधिकारियों को राजी कर चुके थे स्कूल
स्कूल संचालक वर्तमान शैक्षणिक सत्र में स्कूल खोलने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को राजी कर चुके थे। यही कारण था कि अधिकारियों ने एक जुलाई से स्कूल खोलने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने रख दिया था, पर जनभावनाओं को समझते हुए मुख्यमंत्री ने स्कूल खोलने से इंकार कर दिया। स्कूल संचालक इससे उबर पाते, तब तक सिर्फ शिक्षण शुल्क लेने के निर्देश जारी हो गए।
स्कूल की तुलना बाजार और मॉल से
स्कूलों में नियमित कक्षाएं शुरू करने के लिए संचालक स्कूलों की तुलना बाजार, मॉल, शादी समारोह से कर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों ने तर्क दिया कि जब सरकार ने बाजार, मॉल, पिकनिक स्पॉट खोल दिए हैं। शादी समारोह की अनुमति दे दी है, तो स्कूल क्यों नहीं खोले जा रहे। वे इस पर विचार करने को भी तैयार नहीं हैं कि मॉल, बाजार और स्कूल खोलने में फर्क है। बाजार, मॉल, पिकनिक और शादी समारोह में सीमित संख्या में बच्चे जाते हैं, सैकड़ों में नहीं और इतने बच्चों में शारीरिक दूरी के नियम का पालन कराना संभव नहीं है।