अनूपपुर,भास्कर हिंदी न्यूज़/ शहडोल जिले के सोहागपुर क्षेत्र अंतर्गत धनपुरी ओसियम में खदान से होने वाले कोयला परिवहन में हेरा-फेरी का खेल चल रहा था। 2 वाहनों में एक ही नंबर का स्टीकर लगाकर खदान अधिकारियों-कर्मचारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों का वारा न्यारा किया जा रहा था 29 मई को खदान से कोयला लेकर छत्तीसगढ़ जा रहा ट्रक जब जांच के दायरे में आए तब भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। अनूपपुर की चचाई पुलिस कोयले के इस मामले की जांच कर रही है लेकिन 30 दिन बाद भी ना तो पूरे आरोपित पकड़े जा सके और ना ही जांच कार्रवाई सामने आ सकी है जिससे कोयले के अवैध कारोबार में शामिल लोगों की भूमिका उजागर हो सके। पुलिस ने 9 लोगों को आरोपी बनाया है जिसमें से चार की ही गिरफ्तारी हो सकी है। पुलिस ने खदान क्षेत्र से सीसीटीवी कैमरे जब्त किए हैं। धनपुरी ओपन कास्ट से एक ट्रेलर करीब 33 टन कोयला लेकर निकला था जिसे चचाई पुलिस ने अमरकंटक मार्ग में देवहरा पंचायत क्षेत्र के रेलवे फाटक के पास मुखबिर की सूचना पर रोका था इसी दौरान एक मालवाहक पिकअप जो छत्तीसगढ़ लेकर जा रहे ट्रेलर के पीछे-पीछे था जो पायलेटिंग काम में शामिल था को भी घेराबंदी कर पकड़ा था जिसमें सवार दो लोगों को हिरासत में लिया गया था।
पुलिस से करीब 1 माह की जांच के दौरान ट्रेलर चालक राजकुमार यादव और पिकअप वाहन में बैठे ट्रांसपोर्टर का काम देखने वाले संजय मिश्रा और यश चंद्रा को गिरफ्तार कर सकी है इसी तरह धनपुरी ओपन कास्ट के कांटा घर में काम करने वाले एसईसीएल कर्मचारी बृजेंद्र कांत द्विवेदी की भी गिरफ्तारी की जा चुकी है। इस तरह कुल 4 लोग अभी तक पकड़े जा सके हैं। कालरी प्रशासन ने खदान क्षेत्र के बूम बैरियर में तैनात अजीत तिवारी जो अभी फरार है को बृजेंद्र कांत द्विवेदी के साथ निलंबित कर दिया है। इन दोनों कालरी कर्मचारियों की भूमिका कोयला की हेराफेरी मामले में पुलिस ने जांच में पाई है जब ट्रेलर फर्जी नंबर से बाहर निकला तब कांटा घर और बूम बैरियर में पदस्थ यह दोनों कर्मचारी मौजूद थे। यह दोनों कर्मचारी उक्त ट्रेलर को बिना किसी जांच के खदान से बाहर निकालने में मदद की थी। पुलिस ने कर्मचारियों की उपस्थिति रजिस्टर और सीसीटीवी कैमरे, डीवीआर कांटा घर और बूम बैरियर से जप्त किए हैं ताकि पता चल सके कि जब यह ट्रेलर खदान से बाहर निकला तो वहां कौन-कौन कर्मचारी थे। कैमरे के फुटेज में यह पाया गया कि बूम बैरियर में अजीत तिवारी मौजूद थे और एक ऑपरेटर भी था। पुलिस ने जांच में यह भी पाया कि कांटा घर और बूम बैरियर में जो आपरेटर थे वह ठेकेदार के कर्मचारी थे। 29 मई को जो ट्रेलर निकला उसे खदान के अंदर टैरेक्स ऑपरेटर द्वारा आधे घंटे में लोड करके रवाना भी कर दिया था और बिना जांच परख के ट्रेलर कांटा घर फिर बूम बैरियर से होकर खदान से बाहर आ गया था। पुलिस अभी तक टैरेक्स ऑपरेटर का पता नहीं लगा पाई है।
ऑपरेटर की गिरफ्तारी इस मामले की जांच में बेहद जरूरी है। मामला उजागर होने के बाद कालरी अधिकारियों ने ठेकेदार के ऑपरेटरों को काम से हटा दिया है यह भी पुलिस के जांच के दायरे में अभी तक नहीं आए हैं जबकि पुलिस को इनसे पूछताछ की जानी चाहिए परंतु अभी तक यह ऑपरेटर कौन है और किस तरह इनका काम रहता था यह पुलिस पता नहीं लगा सकी है। बताया कि अब कोयला परिवहन का ठेका ए आर कोल कंपनी बिलासपुर को मिला हुआ है। पुलिस भी अभी तक इस कंपनी के मालिक से भी बात नहीं कर सकी है। जो ट्रेलर पुलिस ने पकड़ा था उसका सही नंबर सीजी 10 ए भी 9594 है और स्टिकर लगाकर 9592 किया गया था इस तरह यह हेराफेरी काली खदान से चल रही थी। दस्तावेज पुलिस ने तो जप्त कर लिए हैं लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ कि इस तरह की हेराफेरी कितने दिनों से चल रही है। इस प्रकरण में पुलिस से कोयला परिवहन में लगे ट्रेलर मालिक भाटिया, टैरेक्स ऑपरेटर, बूम बैरियर में पदस्थ अजीत तिवारी, परिवहन मैनेजर गज्जाू सिंह उर्फ गजेंद्र व एक अन्य की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है पर एक माह बाद भी यह पांचो पुलिस गिरफ्त से दूर बने हुए हैं। मामले की जांच चचाई थाना अंतर्गत देवहरा पुलिस चौकी प्रभारी संजय खलको द्वारा की जा रही है।