Now forgery in court too testmony in the case: digi desk/BHN/ इंदौर,जिला न्यायालय में फर्जी फैसले जारी होने का मामला सामने आया है। न्यायालय की तरफ से एमजी रोड पुलिस थाने पर शिकायत हुई है कि लसुडिया पुलिस थाना विरुद्ध संतोष पिता रूमाल सिंह वर्मा के मामले में दो फर्जी फैसले सामने आए हैं। प्रकरण फिलहाल लंबित है और गवाहों के बयान तक नहीं हुए, लेकिन अज्ञात आरोपी ने एक ही तारीख में न सिर्फ दो फैसले बना डाले बल्कि इन पर न्यायालय की सील और न्यायाधीश के फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिए।
पहले फैसले में लिखा है कि दोनों पक्षों में समझोता हो गया है जबकि दूसरे में लिखा है कि कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है। जिस तारीख को ये फैसले जारी किए गए उस दिन न्यायाधीश अवकाश पर थे। न्यायालय ने कभी इन फैसलों को जारी ही नहीं किया। इधर मामले में फरियादी महिला का आरोप है कि इन्हीं फर्जी फैसलों के आधार पर आरोपी संतोष वर्मा ने आइएएस अवार्ड हासिल कर लिया है। उन्होंने ही अपने खिलाफ चल रहे इस केस में फर्जी फैसला बनवाया है ताकि वे उसे सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत कर सकें।
प्रकरण में फरियादी हर्षिता ने बताया कि उन्होंने उज्जैन में पदस्थ तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर संतोष वर्मा के खिलाफ 2016 में लसुडिया पुलिस थाने पर शिकायत दर्ज कराई थी। 2019 में इस मामले में धारा 323, 294 और 506 में चालान भी पेश हो गया। बाद में इस प्रकरण में 24 अप्रैल 2020 की तारीख साक्ष्य के लिए नियत हुई, लेकिन लाकडाउन लगने की वजह से गवाही नहीं हो सकी। फिलहाल 7 सितंबर 2021 को गवाहों के बयान होना हैं। इस बीच 3 अक्टूबर 2020 को यह प्रकरण न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत के न्यायालय में स्थानांतरित हो गया। 6 अक्टूबर 2020 को इसी न्यायालय से प्रकरण में दो फर्जी आदेश जारी हो गए।
हर्षित का आरोप है कि इन्हीं फर्जी आदेशों को सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत कर संतोष वर्मा ने आइएए अवार्ड ले लिया है। उन्होंने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग से इस मामले में अभियोजन से अभिमत भी मांगा गया था। अभियोजन की तरफ से अभिमत में कहा गया था कि प्रकरण में आरोपित को दोषमुक्त पाया गया है। यह प्रकरण अपील योग्य नहीं पाया गया। जिस फैसले के संबंध में अभियोजन ने अभिमत दिया था वह कोर्ट ने कभी जारी ही नहीं किया था। बावजूद इसके अभियोजन ने आरोपी के पक्ष में अभिमत दिया।
न्यायाधीश अवकाश पर थे
एमजी रोड़ थाने पर की गई शिकायत में कहा है कि छह अक्टूबर 2020 को न्यायाधीश रावत अवकाश पर थे। उनकी पत्नी को गंभीर बीमारी है और वे इस दिन अवकाश लेकर उन्हें जांच कराने लेकर गए थे। पुलिस ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।