उमरिया,भास्कर हिंदी न्यूज़/ बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पांच दिन और पर्यटन होगा और इसके बाद एक जुलाई से पार्क के गेट पर्यटकों के लिए बंद कर दिए जाएंगे। हालांकि बफर में पर्यटन जारी रहेगा। कोर के गेट अब पर्यटकों के लिए अक्टूर की एक तारीख को खुलेंगे। तीन महीने तक पार्क में सन्नाटा रहेगा और बाघों को आराम मिल सकेगा। इस दौरान पार्क मे ग्रास लैण्ड को दुरूस्त करने, खरपतवार और घास आदि को उखाड़ने आदि के कार्य जारी रहेंगे।
बारिश में पर्यटन
मानसून ने जिले मे अब पूरी तरह से दस्तक दे दी है। सुबह से शाम तक कहीं बारिश की रिमझिम तो कहीं झमाझम से मौसम खुशगवार हो रहा है। इन सब के बीच बांधवगढ़ नेशनल पार्क सैलानियों से गुलजार है। कोविड-19 के कारण हलांकि विदेशी पर्यटकों की आमद नहीं के बराबर है परंतु देशी सैलानियों का पहुंचना बदस्तूर जारी है। मप्र सहित विभिन्ना प्रांतों के सैकड़ों मेहमान इन दिनो यहां पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि जीवन की आपाधापी बांधवगढ़ आते ही जैसे खो जाती है। उद्यान की सुरम्य वादियां और दुर्लभ वन्य जीवन स्वर्ग का एहसास कराता है। इन्हे जितना देखो, दीदार की प्यास उतनी ही बढ़ती जाती है।
छुट्टियों में पार्क फुल
बताया जाता है कि सप्ताह के अन्य दिनो में औसतन 50 जिप्सियां पार्क मे प्रवेश कर रही हैं। जबकि वीकेण्ड में विशेषकर शुक्रवार से सोमवार तक निर्धारित कोटा फुल हो जाता है। उल्लेखनीय है कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क के कोर क्षेत्र मे ताला, मगधी और खितौली सहित कुल 3 जोन हैं। इन तीनो मे दोनो पालियां मिला कर कुल 147 वाहनो को प्रवेश की अनुमति है।
सुकून पर तीसरी लहर का डर
वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बीते करीब डेढ़ सालों मे दुनिया भर का पर्यटन तहस-नहस हो गया है। बांधवगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का सबसे ज्यादा असर जनवरी से जून के बीच रहा, जिस समय पर्यटन चरम पर होता है। वहीं दूसरी ओर कोविड की वजह से विदेशी सैलानियों की संख्या नगण्य हो गई। जिसका खामियाजा यहां के होटल, रिसोर्ट व्यवसाय, स्थानीय रेस्टारेंट, जिप्सी संचालकों, गाईड, ड्राईवरों के अलावा विभिन्ना संस्थानो मे कार्यरत कर्मचारियों को भुगतना पड़ा। बांधवगढ़ मे स्थितियां सामान्य होने से लोगों के चेहरों पर जहां सुकून दिख रहा है, वहीं तीसरी लहर की खबर उन्हे अभी भी डरा रही है।