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Court News: हाई कोर्ट ने कहा पुलिस भरोसे लायक नहीं, इसलिए सीबीआइ से जांच के अलावा कोई विकल्प नहीं

Court News: digi desk/BHN/ ग्वालियर/ मुरार थाने में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित की मदद करने के मामले में पुलिस के पांच अधिकारियों को काफी महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने पुलिस की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस भरोसे लायक नहीं है। ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी आरोपित के बाबा गंगा सिंह भदौरिया के कहने पर काम करते रहे। कोर्ट के पास जांच के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसलिए मामला सीबीआइ को स्थानांतरित किया जाता है। इस पूरे मामले के दस्तावेज सीबीआइ को तत्काल सुपुर्द किए जाएं। सीबीआइ डायरेक्टर को निर्देश किया है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की जांच दी जाए। गंगा सिंह भदौरिया व पुलिस अधिकारियों के फोन काल्स की जांच की जाए। साथ ही पूरे मामले में गड़बड़ी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की जाए। कोर्ट ने 129 पेज के आदेश में पुलिस की भूमिका पर काफी सवाल भी खड़े किए हैं।

एक नाबालिग ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने तर्क दिया कि आदित्य सिंह भदौरिया ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर मारपीट की। मुरार थाना पुलिस के पास जब शिकायत लेकर पहुंचे तो उल्टा पुलिस नाबालिग को परेशान करने लगी। साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ भी की है। थाने में अवैध रूप से बंधक बनाए रखा। पुलिस बयान बदलने के लिए दवाब भी बनाती रही। नाबालिग गायब होने पर हेवियस कार्पस भी दायर की। कोर्ट ने पुलिस से इस संबंध में जवाब मांगा।

मामले की स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को तलब कर लिया था। 17 जून को पुलिस अधीक्षक अमित सांघी वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से न्यायालय के सामने उपस्थित हुए। 17 जून को बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में आरोपित पर तो कार्रवाई नहीं, उल्टा पीड़िता व उसके परिवार को पुलिस प्रताड़़ित करने में लगी रही। ऊपर से लेकर नीचे अधिकारियों ने आरोपित के बाबा गंगा सिंह भदौरिया के कहने पर कार्य किया। पुलिस की जांच दूषित है। इसलिए निष्पक्ष जांच कराना जरूरी है।

कोर्ट ने यह दिए हैं निर्देश

  • – हाई कोर्ट ने अधिकारियों पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। हर्जाने की राशि वसूल कर पीड़िता को सात दिन में दी जाएगी। यदि पीड़िता चाहे तो अतिरिक्त मुआवजे की मांग भी कर सकती है।
  • – कोर्ट ने थानों में जितने भी सीसीटीवी लगे हैं, वह 24 घंटे चालू रखे जाएं। भविष्य में ये कैमरे बंद नहीं रहे। कंट्रोल रूम से कैमरे नियंत्रित रहें। कोर्ट ने कहा कि अक्सर देखने को मिल रहा है कि थाने के सीसीटीवी बंद होने की रिपोर्ट आ रही है। मुरार थाने में घटना के वक्त सीसीटीवी बंद थे। डीजीपी इस आदेश का पालन तत्काल कराएं।
  • – सीबीआइ गंगा सिंह व पुलिस अधिकारियों के फोन काल्स की जांच करे। इनके बीच कितनी बार बात हुई है। इसकी पड़ताल करे। यदि लगता है कि कोई गडबड़ी की गई है तो धारा 201 के तहत केस दर्ज किया जाए।
  • – पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मामला डीजीपी तत्काल भेजा जाए।
  • – पीड़िता व उसके पिता के बयानों की तीन वीडियो क्लीपिंग पेश की थी। इस क्लीपिंग को बंद लिफाफे में रखने के निर्देश दिए हैं।

इनके ऊपर होगी कार्रवाई

  • -अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर को मामले की जांच दी थी, लेकिन उन्होंने आरोपित पर कोई कार्रवाई करने की वजाए आरोपित की हेल्प की।
  • -सीएसपी आरएन पचौरी ने कोर्ट को गुमराह किया और आरोपित की मदद।
  • – मुरार थाने से मामला सिरोल भेज दिया। इस मामले की जांच सिरोल थाना प्रभारी प्रीति भार्गव कर रही थीं। सिरोल में पांच महीने पड़ा रहा। सिरोल थाना प्रभारी की भी जांच होगी।
  • – मुरार थाना प्रभारी अजय पवार व सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय ने नाबालिग को अवैध रूप से थाने में बिठाए रखा। नाबालिग के वीडियो बनाकर वाट्सएप पर शेयर भी किए। इन दोनों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी।

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