Delta+ Variant: digi desk/BHN/ देश में जानलेवा कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। अब तक डेल्टा प्लस वेरियंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और जम्मू में इसके मामले दर्ज किए गए हैं। कर्नाटक में भी कोविड-19 के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) का पहला मामला दर्ज किया गया है। लेकिन चिंताजनक बात ये है कि संक्रमित व्यक्ति में इसके कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। राज्य के मैसुरु में ये मामला सामने आया है और उसके बाद मरीज को आइसोलेट कर दिया गया है। दिक्कत ये है कि अगर डेल्टा प्लस के मरीज एसिम्टोमैटिक होने लगे, तो इसकी पहचान करनी मुश्किल होगी। साथ ही इसके फैलाव पर रोक लगाना भी आसान नहीं होगा।
रोकथाम की तैयारी में जुटा स्वास्थ्य विभाग
वैसे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार नए वेरिएंट की सावधानी से निगरानी कर रही है और उसने राज्य में छह जीनोम लेबोरेटरी स्थापित करने का फैसला लिया है। कर्नाटक में रोज लगभग 1.5 लाख से दो लाख लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। सरकार उन सभी जिलों में वैक्सीन भेज रही है जहां डेल्टा प्लस सीक्वेंसिंग का संदेह है। राज्य सरकार लगातार कोरोना वायरस की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में है। आईसीयू के साथ बाल चिकित्सा वार्ड स्थापित करने और सभी जिलों में 45 दिनों के अंदर डॉक्टरों और नर्सों को नियुक्त करने की तैयारी चल रही है।
सबसे खतरनाक है ये वैरिएंट
फिलहाल पूरी दुनिया में डेल्टा प्लस वेरिएंट को सबसे खतरनाक वेरिएंट माना जा रहा है। अमेरिका में सामने आने वाले कोरोना वायरस के नए मामलों में से 20 फीसदी से अधिक में संक्रमण की वजह डेल्टा वेरिएंट ही है। ब्रिटेन में भी ये वेरिएंट हावी हो चुका है और इसकी वजह ये है कि इसका फैलाव सबसे ज्यादा हो सकता है।