Edible Oils Prices:digi desk/BHN/ भारत में पिछले कुछ समय से जनता तेल की महंगाई से जूझ रही है। खाने का तेल हो या पेट्रोल डीजल सभी तरह के तेल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है। कई राज्यों में पेट्रोल की कीमतें लगातार 100 रुपये के पार बनी हुई हैं तो राजस्थान के श्रीगंगानगर में डीजल भी शतक लगा चुका है। वहीं खाने के तेल की कीमतें भी काफी ज्यादा हैं। इस बीच सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत सरकार खाद्य तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी कम कर रही है। ताकी खाने वाले तेल की कीमतें कम हो सकें।
भारत में खाद्य तेल का उत्पादन कम है, लेकिन मांग ज्यादा है। इस वजह से यहां तेल की कीमतें बहुत हद तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आ रही है। इसके साथ ही सरकार ने इंपोर्ट टैक्स कम किया है। इसके बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि देश में तेल की कीमतें कम हो सकती हैं।
सरसों तेल के दाम 10 फीसदी तक कम हुए
डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के आंकड़ों के मुताबिक खाद्य तेलों की कीमतों में करीब 20 फीसदी तक कमी आई है। सोया ऑयल की कीमतों में 15 फीसदी को सरसों तेल की कीमतों में करीब 10 फीसदी की कमी आई है। पॉम आयल के दाम 142 रुपये प्रति किलो से घटकर 115 रुपये किलो ग्राम तक हो गए हैं। इस तरह से इसकी कीमतों में करीब 19 फीसदी की कमीं आई है। वहीं, सूरजमुखी का तेल 16 फीसदी की गिरावट के साथ 188 रुपये प्रति किलो से कम होकर 157 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है।
तेल की कीमतें गिरी, लेकिन सोयाबीन महंगा हुआ
बाजार सूत्रों के अनुसार मंगलवार देर रात की बैठक में आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया। इससे मलेशिया एक्सचेंज में चार प्रतिशत ओर शिकागो एक्सचेंज में दो प्रतिशत की गिरावट आई है। शिकागों में आई गिरावट से सोयाबीन तेलों के भाव कम हो रहे हैं। हालांकि, सोयाबीन की खली की मांग अधिक होने से सोयाबीन के दाम बढ़े हैं। सूत्रों ने बताया कि मंडियों में सोयाबीन के बेहतर दाने की आवक कम है। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी। तेल संयंत्र एनसीडीईएक्स में सोयाबीन दाने की खरीद कर रहे हैं, जहां जुलाई अनुबंध का भाव हाजिर भाव से 700 रुपये क्विन्टल नीचे और अगस्त अनुबंध का भाव 900 रुपये क्विन्टल नीचे है।