Madhya Pradesh News: digi desk/BHN/ भोपाल/ नर्मदा घाटी विकास विभाग की सिंचाई परियोजनाओं के अनुसमर्थन संबंधी प्रस्ताव पर कैबिनेट में गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा के आपत्ति उठाने पर प्रदेश कांग्रेस ने सवाल उठाए। पार्टी ने बजट प्रविधान नहीं होने के बाद भी परियोजनाओं की मंजूरी देने को प्रदेशवासियों की आंख में धूल झोंकना करार दिया। उधर, डॉ.मिश्रा ने नाराजगी की बात को दरकिनार करते हुए कहा कि सुझाव देना कोई नाराजगी नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रजातांत्रिक तरीके से कैबिनेट का संचालन करते हैं। हमारे यहां ऐसा थोड़ी है जैसा पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ मंत्रियों से चलो-चलो कहते रहते थे।
कैबिनेट बैठक में चिंकी-बोरास बैराज, सांवेर माइक्रो सिंचाई परियोजना और अपर नर्मदा परियोजना की निविदा आमंत्रित किए जाने के अनुमोदन का प्रस्ताव विभाग ने रखा था। इसके लिए वित्त विभाग द्वारा तय सूचकांक (बजट की तुलना में प्रशासकीय स्वीकृति और निविदा आमंत्रित करने की सीमा) से छूट मांगी गई थी। इस पर गृहमंत्री ने यह कहते हुए आपत्ति उठाई थी कि बजट से कई गुना अधिक की निविदा बुलाई जा चुकी हैं। इसमें भी 90 फीसद राशि पाइप खरीद पर व्यय की जा रही है, जबकि पहले बांध बनना चाहिए।
इसको लेकर उनकी अधिकारियों से बहस भी हुई थी और उन्होंने निर्णय पर अपनी आपत्ति दर्ज करने की बात कही थी। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि जिस तरह से बैठक में मंत्रियों ने सिंचाई परियोजनाओं को के लिए बजट प्रविधान न होने के बाद भी नियम के विपरीत मंजूरी दी गई, वो पूरी प्रक्रिया को संदेह के घेरे में ला देती है।
आनन-फानन में स्वीकृत की जा रही परियोजनाएं 2024 तक किसी भी कीमत पर पूरी नहीं हो सकती हैं। प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था पहले से गड़बड़ाई हुई है और लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। सरकार को इस मुद्दे पर स्थिति साफ करना चाहिए। उधर, गृहमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रजातांत्रिक तरीके से कैबिनेट चलाते हैं और प्रोत्साहित करते हैं कि सब अपने सुझाव दें। सुझाव देना नाराजगी नहीं है। हमारे यहां सारगर्भित चर्चा होती है। बताया जा रहा है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग सिंचाई परियोजनाओं को लेकर अगली कैबिनैट बैठक में स्थिति को स्पष्ट करते हुए प्रस्ताव रख सकता है।