CMHO took virtual class cleared the misconceptions: digi desk/BHN/रायपुर/ मासिक धर्म को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्चुअल क्लास का आयोजन किया गया। वर्चुअल क्लास में सीएमएचओ ने एएनएम, मितानिन और महिला एवं बाल विकास की आंगनबाडी कार्यकर्ता को मासिक धर्म के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान देने के लिये किशोरियों को कैसे जागरुक करें, इसके बारे में बताया गया। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष मेजरवार एवं आरएमएनसीएच कंसलटेंट डॉ. रंजना गायकवाड द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर प्रतिभागियों को किशोरियों और महिलाओं को नियमित जागरूक करते रहने को कहा गया।
साथ ही नैपकिन पैड के सुनियोजित निष्पादन का तरीका भी बताया गया। वर्चुअल क्लास की जानकारी देते हुए जिला मातृत्व स्वास्थ्य इकाई की नोडल अधिकारी डॉ. स्मृति देवांगन ने बताया कि महिलाओं के शरीर में हार्मोन्स के स्तर में होने वाले चक्रीय बदलावों के कारण प्रत्येक महीने नियमित रूप से गर्भाशय से होने वाले रक्त और अंदरूनी परत के स्राव को मासिक धर्म कहा जाता हैं।
इसी विषय पर सीएमएचओ ने एएनएम मितानिन और महिला एवं बाल विकास की आंगनबाडी कार्यकर्ता को मासिक धर्म के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने और मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता को लेकर किशोरियों को जागरुक करने के लिये वर्चुअल क्लास का आयोजन किया गया। वर्चुअल क्लास में उन्होंने कहा मासिक चक्र 28 दिन का होना चाहिए और रक्तस्राव की अवधि पांच दिन होनी चाहिए- सामान्यतः मासिक चक्र 28 से 30 दिन का होता है और रक्तस्राव की अवधि तीन से पांच दिन की होती है।
यह प्रक्रिया शारीरिक संरचना, खानपान, जीवनशैली एवं होर्मोन्स के स्तर के अनुसार यह अलग अलग भी हो सकती है। 20 से 35 दिन तक और रक्तस्राव की अवधि दो से सात दिन तक भी बिल्कुल सामान्य है। स्वास्थ्य विभाग की कृतिका बघेल और पार्वती साहू ने पूछा कि मासिक धर्म के दौरान व्यायाम किया जा सकता है, बाल नहीं धोना, स्नान नहीं करना है। रक्त स्राव का गंदा होना, अचार खराब होना, रसोई में प्रवेश नहीं करना जैसी सामाजिक धारणाएं हैं इसके लिए क्या करना चाहिए।
प्रश्नों के उत्तर में सीएमएचओ डॉ. बघेल ने कहा कि ज्यादातर महिलाएं इस दौरान व्यायाम नहीं करती हैं रोजमर्रा के कामों के कारण सिर दर्द हो सकता है, जबकि इस दौरान हल्का व्यायाम करने चलने फिरने से शरीर मैं खून का संचार और ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रहता है। पेट दर्द जैसी समस्या से निजात मिलती है। इसलिए अपना सामान्य नियमित कार्य करते रहना चाहिए। इन दिनों में शारीरिक स्वच्छता को लेकर और सजग रहना चाहिए अन्यथा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
मासिक के दौरान होने वाला रक्तस्राव भी सामान्य रक्त की तरह ही होता है। इसलिए 4 से 6 घंटे के नियमित अंतराल पर पैड बदलते रहना चाहिए। स्त्री के अचार छूने पर उसके हाथों से प्रवेश करके अचारखराब कर देगा। यह केवल मिथ्क है और कुछ नही। इस दौरान वे अपवित्र हैं इस कारण उनका भोजन सामग्री छूना वर्जित हैं जबकि ऐसा कुछ नहीं है। ईश्वर ने स्त्री की शारीरिक संरचना इस तरह ही बनाई है। ऐसे में भगवान उससे भला कैसे रुष्ट हो सकते हैं।