केस एक : निजी अस्पताल में कोरोना का इलाज करवा रहे मीडियाकर्मी लगभग पूरी तरह से ठीक हो चुके थे। दो-तीन दिन में उन्हें डिस्चार्ज करने की तैयारी चल रही थी कि अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। किसी को कुछ समझ नहीं आया कि अचानक ऐसा क्या हुआ कि जान चली गई।
केस दो : निमाड़ के एक कपड़ा व्यापारी कोविड संक्रमित होने के बाद इंदौर के एक निजी अस्पताल में इलाजरत थे। तबीयत ठीक हो रही थी। सभी जांचें भी सामान्य थी। अचानक उन्हें सास लेने में दिक्कत होने लगी और दिल का दौरा पड़ गया। कुछ ही समय में व्यापारी की जान चली गई।
Coronavirus New strain: digi desk/BHN/इंदौर/ ये दो उदाहरण पर्याप्त हैं यह बताने के लिए कि कोरोना का नया स्ट्रैन कितना घातक है। दरअसल नए स्ट्रैन की वजह से कोरोना संक्रमितों के शरीर में अचानक से खून के थक्के बनने लगते हैं। कोई कुछ समझे इसके पहले ही ये थक्के मरीज के दिल की मांसपेशियों में जाकर फंस जाते हैं और उसे दिल का दौरा पड़ जाता है। यह दौरा इतना खतरनाक होता है कि कुछ घंटे पहले तक सामान्य नजर आ रहे मरीज की तबीयत अचानक बिगड़ जाती है। खून के थक्कों की वजह से कई बार मौत तक हो जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक हर दस में से दो मामलों में ऐसा ही हो रहा है।
कार्डियोलॉजी सोसायटी ऑफ इंडिया इंदौर चेप्टर के पूर्व अध्यक्ष डॉ.एके पंचोलिया के मुताबिक इन दिनों इस तरह के मामले अचानक बढ़ गए हैं। कोरोना के नए स्ट्रेन की वजह से ऐसा हो रहा है। इसके चलते मरीज के शरीर में अचानक से थक्के बनना शुरू हो जाते हैं। जिन मरीजों को ब्लडप्रेशर या दिल की पुरानी बीमारी होती है उन्हें तो कोरोना की दवाइयों के साथ ही खून पतला करने की दवा शुरू कर दी जाती हैं लेकिन जिन मरीजों को ऐसी कोई बीमारी नहीं है उनमें अचानक से थक्का बनने की वजह से उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता है।
नए स्ट्रैन के चलते यह भी देखने में आ रहा है कि इसकी वजह से दिल की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। कोरोना से ठीक होेने के बाद भी कई मरीज सास फूलने और थकान की शिकायत करते हैं। डॉक्टर समझते हैं कि कोरोना की वजह से ऐसा हो रहा है लेकिन जब इन मरीजों के दिल की जांच कराते हैं तो पता चलता है कि इनकी मांसपेशियों में सूजन है और इस वजह से उनका दिल 25 से 30 प्रतिशत ही काम कर रहा है।
शरीर में कहीं भी बनने लगता है थक्का
नए स्ट्रैन की वजह से मरीज के शरीर में कहीं भी खून के थक्के बनने लगते हैं। कभी यह पैर में बनते हैं तो कभी पेट की आंतों में। ये थक्के दिल में जाकर फंस जाते हैं और हार्टअटैक की वजह बनते हैं। यह कहना है 10 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमितों का सफल इलाज कर चुके डॉ.रवि डोसी का। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से अचानक से थक्के बनने के मामले बढ़े हैं। हर दस में से दो मामलों में ऐसा हो रहा है। यही वजह है कि मरीज की लगाता डा-डाइमर जांच करवाई जाती है ताकि पता चल सके कि कहीं रक्त का थक्का तो नहीं बन रहा, लेकिन नए स्ट्रैन की वजह से यह प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है कि संभलने का मौका नहीं मिलता।
यह करें
- डॉक्टर को पुरानी बीमारी के बारे में सही-सही और पूरी जानकारी दें।
- कोरोना के इलाज के दौरान नियमित रूप से जांच करवाते रहे ताकि समय रहते इलाज में बदलाव किया जा सके।
- नए स्ट्रैन को हल्के में न लें, पूरी सावधानी रखें, मास्क पहने, शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें और बार-बार हाथ सैनिटाइज करते रहें।