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Satna: पंचतत्व में विलीन हुए विधायक जुगल किशोर, पुत्र ने पीपीई किट पहनकर दी मुखाग्नि

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ सतना के रैगांव विधायक जुगल किशोर बागरी का आज उनके पैतृक गांव बसुधा में कोविड नियम के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया। बड़े पुत्र पुष्पराज बागरी ने पीपीई किट पहनकर उन्हें मुखाग्नि दी। रैगांव विधायक जुगल किशोर बागरी का 78 वर्ष की उम्र में कल भोपाल के चिरायु अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था। वे कोरोना संक्रमित हुए थे इसके बाद वे संक्रमण से उबर चुके थे लेकिन पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन के कारण हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया था।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी विधायक के पुत्र पुष्पराज बागरी से फोन पर चर्चा कर दुख प्रकट किया और उनकी अंतिम संस्कार में कोरोना संक्रमण के नियमों के पालन का निर्देश भी दिया था जिसके बाद खुद पुष्पराज इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सभी समर्थकों और विधायक को चाहने वालों से अपील की थी कि वे अंत्येष्टि में ना पहुंचे और घर में ही विधायक जी को श्रद्धांजलि दें।

पुलिस ने पीपीई किट पहनकर दिया गार्ड ऑफ ऑनर

विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन की सूचना मिलने के बाद से ही जिला प्रशासन अलर्ट हो गया था और बीती रात को ही उनके पैतृक गांव वसुधा में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया। खुद कलेक्टर अजय कटेसरिया व पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह यादव उनके गांव पहुंचे थे और अधिकारियों को अंत्येष्टि के लिए व्यवस्था के निर्देश दिए थे। आज सुबह लगभग 10 बजे उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कोरोना की गाइडलाइन के तहत किया गया। इस दौरान स्वजनों के अलावा गिने चुने राजनेता मौके पर पहुंचे। इनमें से अधिकांश लोगों ने पीपीई किट पहन रखा था। अंत्येष्टि के दौरान जिला पुलिस बल ने भी पीपीई किट पहनकर स्वर्गीय विधायक को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। उनके अंत्येष्टि के दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी, राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल, सांसद गणेश सिंह, विधायक विक्रम सिंह सिंह, प्रशासनिक अधिकारी सहित सीमित संख्या में लोग उपस्थित रहे।

पांच बार विधायक, एक बार कैबिनेट मंत्री रहे

जुगल किशोर बागरी भाजपा से पांच बार के विधायक हैं। बढ़ती उम्र के साथ उनकी लोकप्रियता भी क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। सबसे पहले वे वे 1993 में पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 1998 में दूसरी बार और 2003 में उमा भारती की सरकार में तीसरी बार विधायक बने इसके साथ ही उन्हें कैबिनेट में मंत्री बनाया गया, लेकिन लोकायुक्त में प्रकरण की वजह से उन्हें अपनी कैबिनेट मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। इसके बाद 2008 में वे लगातार चौथी बार विधायक बने और क्षेत्र में इतिहास रचा। विधायक बागरी की बढ़ती उम्र के कारण पार्टी ने उन्हें 2013 में टिकट नहीं दिया जबकि उनकी जगह उनके बड़े बेटे पुष्पराज बागरी को टिकट दिया। लेकिन जी तोड़ मेहनत के बाद भी पुष्पराज चुनाव नहीं जीत पाए और वे बहुजन समाज पार्टी की उषा चौधरी से हार गए। अगली बार पार्टी ने दोबारा खतरा लिया और विकल्प ना होने पर उनके बुजुर्ग पिता जुगल किशोर बागरी को टिकट दिया। लेकिन उन्होंने पार्टी के भरोसे को बनाए रखा और एक बार फिर पांचवी बार 2018 में विधायक बने।

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