Mother’s Day:digi desk/BHN/ ग्वालियर/ मां, इस एक शब्द में समूची सृष्टि समाहित है। कहा गया है कि ईश्वर धरती पर सभी प्राणियाें की देखभाल नहीं कर सकता, इसलिए उसने मां बनाई। दुनिया में जन्म लेने वाला हर बच्चा सबसे पहले यही शब्द बाेलना सीखता है। मां, अपने बच्चाें काे कभी मुसीबत में नहीं देख सकती। काेराेना महामारी में एेसे कई मामले सामने आए हैं कि संतानाें ने अपने माता-पिता काे अस्पताल में भर्ती करा दिया आैर भूल गए, लेकिन एक भी एेसा मामला नहीं आया, जिसमें मां ने अपनी संतानाें काे भुला दिया। क्याेंकि पूत, कपूत हाे सकता है, लेकिन माता-कुमाता नहीं हाे सकती। मदर्स डे पर हम एेसी मांआे की कहानियां लेकर आए हैं, जाे भले ही खुद संक्रमित हाे गईं, लेकिन फर्ज के साथ वे अपने बच्चाें पर ममता लुटा रही है।
खुद के साथ पूरा परिवार संक्रमित फिर भी रख रहीं सभी का ध्यान
ग्वालियर के तृप्ति नगर निवासी एम गीता जाे खुद काे भूलकर पूरे समर्पित भाव से अपने बच्चाें व परिवार की देखभाल में जुटी हैं। वर्तमान में उनका पूरा परिवार काेराेना से पीडित है, लेकिन वे खुद का मनाेबल बढ़ाते हुए अपने परिवार काे काेराेना से बचाने के लिए ढा़ल बनी हुई हैं। उनके पांच बच्चाें, पति व उन्हें मिलाकर उनके परिवार में कुल सात लाेग हैं, लेकिन सभी काेराेना पॉजिटिव हैं। फिलहाल उनके दाे बच्चे एक बेटी व बेटा दाेनाें आक्सीजन पर हैं। हालत काफी गंभीर हाेने के बाद भी वे डटकर मुसीबत का सामना कर रही हैं। वे घर व अस्पताल के सुबह-शाम चक्कर काटते हुए खुद की परेशानी काे भूलकर परिवार की सेवा में जुटी हुई हैं। उनका खुद का आक्सीजन लेवल ठीक नहीं रहता है, लेकिन सुबह जल्द उठकर वे बच्चों को जगाकर सभी को चाय बनाकर देती हैं। उन्होंने काढ़ा के साथ प्रोटीन डाइट के अनुसार मैन्यू कार्ड तैयार किया है, जिसका पालन करते हुए पूरा परिवार फ्रूट, जूस आदि का सेवन करता है। साथ ही घर में साफ-सफाई का भी वे पूरा ध्यान रखती हैं।
अपनों के साथ से मिलती है शक्ति
एम गीता बताती हैं कि ऐसी स्थिति का सामना परिवार के सहयोग से ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके देवर-देवरानी हर दिन उनके बच्चों के लिए खाना बनाकर भेजते हैं। वे दवाइयों से लेकर अन्य सामग्री हर दिन घर तक पहुंचा रहे हैं, जिससे मन में कोरोना से जंग जीतने की हिम्मत आती है।
पशु-पक्षियों का भी रख रहीं ध्यान
एम गीता बताती हैं कि वे पशु-पक्षियों से बहुत प्रेम करती हैं, इसलिए उन्होंने घर में ही चार श्वान व दो तोते पाल रखे हैं। वे खुद बीमार होने के बाद भी उनके खान-पान का पूरा ध्यान रखती हैं। उनको देखकर वे अच्छा महसूस करती हैं। वे बताती हैं कि जब तक श्वान व तोते उनको देख न लें तब तक घर के बाहर और अंदर तलाशते रहते हैं। उनके प्रेम ने उन्हें हर स्थिती से लड़ने की शक्ति दी है।
बेटा संक्रमित हुए ताे मां हाैंसला बढ़ाने के लिए अस्पताल में रहीं
गाेहद अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स लेखा देवी पत्नी विनीत श्रीवास्तव के पति ग्वालियर में निजी अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उनका बीस वर्षीय बेटा विपिन पिता के साथ ग्वालियर में रहता है। बीती 21 अप्रैल काे विपिन काेराेना संक्रमित हाे गए। इलाज के लिए विपिन काे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। विपिन काेराेना से लड़ाई में कमजाेर नहीं पड़े, इसके लिए लेखा गाेहद अस्पताल से छुट्टी लेकर ग्वालियर आ गई। बेटे का हाैंसला बढ़ाने के लिए वे अपनी जान काे दांव पर लगाकर अस्पताल में उसके साथ रहीं। पांच दिन में ही मां की मेहनत सफल हुई। विपिन ने काेराेना काे हरा दिया। अब लेखा विपिन काे अपने साथ गाेहद ले आई हैं। बेटे का चाैदह दिन क्वारंटाइन पूरा हाेने पर लेखा दाेबारा से अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर पहुंच चुकी है।
काेराेना में ड्यूटी के साथ मां का फर्ज भी बखूबी निभा रहीं ममता
जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ नर्स ममता राजाैरिया काेराेना महामारी के इस दाैर में दिन-रात अपनी ड्यूटी करने के साथ-साथ अपने ग्यारह वर्षीय बेटे वंश आैर तीन वर्षीय बेटी मान्या की देखभाल करके इन विपरित हालाताें में भी उन्हें लाड़-प्यार देने में काेई कसर नहीं छाेड़ रही है। एक साथ ड्यूटी आैर मां का धर्म निभाने वाली एेसी महिलाएं ही ताे समाज काे नई दिशा आैर हिम्मत देती हैं। ममता राजाैरिया जिला अस्पताल में सीनियर स्टाफ नर्स के छाेटे पद पर जरूर पदस्थ है, लेकिन उनके अनुभव की वजह से उन्हें सर्जरी वार्ड, आर्थेापैडिक वार्ड, नॉन काेविड वार्ड, इमरजेंसी वार्ड की जिम्मेदारियां भी अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियाें ने दे रखी हैं। ममता सुबह नाै बजे से शाम पांच बजे तक जिला अस्पताल में ड्यूटी पर रहती है। माैजूदा हालाताें में जरुरत पड़ने पर कई बार वह रात दस-ग्यारह बजे तक ड्यूटी करती हैं।
बेटे काे मां के दुलार के साथ डाक्टर बनकर दवा भी दे रहीं
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्राेफेसर डा रितु शर्मा चतुर्वेदी पिछले ग्यारह दिन से काेराेना से एक याेद्धा की तरह दाेहरी जंग लड़ रही हैं। उनका सात साल का बेटा अयान आैर पति डा गिरीश चतुर्वेदी काेराेना संक्रमित हैं। डा रितु मुश्किल की इस घड़ी में एक हाथ से घर संभाल रही हैं ताे दूसरी आेर अपने पूरे परिवार का इलाज कर चिकित्सक हाेने का फर्ज भी निभा रही हैं। डा रितु ने बताया कि वैसे ताे वे नेत्र चिकित्सक हैं, लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई में लाइफ सेविंग ट्रेनिंग हाेती है, जाे अब काम आ रही है। उन्हाेंने घर काे आइसीयू में बदल डाला है। वे आयान काे नेबुलाइजेशन के साथ आक्सीजन सेचुरेशन के अनुसार इलाज दे रही हैं।