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Hanuman Jayanti : जानिए क्या है बजरंग बली को प्रसन्न करने का तरीका, पूजा विधि और मंत्र

Hanuman Jayanti 2021:digi desk/BHN/ आज चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाते हैं। माना जाता है कि आज के दिन ही बजरंग बली को माता अंजनि ने जन्म दिया था। हनुमान जयंति के मौके पर बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा करनी चाहिए। हनुमान भक्त इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। कई लोग आज के दिन व्रत भी रखते हैं। इस साल हनुमान जयंती पर सिद्धि योग बन रहा है। मांगलिक कार्यों के लिए यह योग शुभ माना जाता है।

हनुमान जयंती पर ग्रहों को भी शांत करने के लिए खास उपाय किए जाते हैं। इस दिन हनुमान जी के साथ भगवान श्रीराम की भी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से हनुमान जल्दी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जयंती पर रामचरितमानस और बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किन्धा कांड, सुन्दर कांड, लंका कांड एवं उत्तरकांड का भी विशेष पाठ किया जाता है। शिक्षा, विवाह, कर्ज और कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों के लिए यह दिन अच्छा होता है।

हनुमान जयंती पर अशुभ मुहूर्त

चैत्र पूर्णिमा 26 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 27 अप्रैल की सुबह 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। इस दौरान 5 अशुभ मुहूर्त भी रहेंगे, जिनमें पूजा-पाठ करने से आपको विपरीत फल मिल सकता है। इन 5 मुहूर्तों में गलती से भी भगवान की पूजा ना करें। दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से शाम 5 बजकर 1 मिनट तक राहुकाल है। इसके अलावा सुबह 8 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 28 मिनट तक यमगण्ड काल है। दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 1 बजकर 44 मिनट तक गुलिक काल है। सुबह 8 बजकर 11 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक दुमुहूर्त है। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 3 मिनट से 2 बजकर 28 मिनट तक वर्ज्य काल है। इन पांच मुहूर्तों में भगवान की पूजा करने से बचें।

हनुमान कवच मंत्र

“ॐ श्री हनुमते नम:”

सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।

क्या है पूजा का तरीका

सुबह उठकर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। अब सीता-राम और हनुमान जी को याद करें। पूजा करते समय ‘ॐ श्री हनुमंते नम:’ मंत्र का जाप करें:। हनुमान जी को सिंदूर और लाल वस्त्र व जनेऊ, लाल फूल चढ़ाएं। रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। पूजा के आखिर में हनुमान जी की आरती करें और उन्हें पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसके अलावा आप इमरती, चूरमा, गुड़ चने, केले और पंच मेवा का भोग भी लगा सकते हैं।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये॥

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे॥

पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे॥

सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे॥

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै॥

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