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Crime: रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचते तीन वार्ड बॉय पकड़े गए, दो इंजेक्शन व 14 हजार जब्त

Three ward boy selling Remadecivir injections caught: digi desk/BHN/ छिंदवाड़ा/ शनिवार की देर रात जिला अस्पताल में कोरोना का उपचार करा रहे मरीज के परिजनों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते एक वार्डबॉय को पकड़ा। जिसे बाद में कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया गया। पकड़े गए वार्डबॉय के पास से पुलिस ने दो इंजेक्शन व 14 हजार रुपये बरामद किए है। मामले की गंभीरता को लेते हुए पकड़े गए वार्डबॉय से पुलिस के वरिष्ट अधिकारियों व टीआई कोतवाली मनीषराज भदौरिया ने पूछताछ की थी जिसके बाद पुलिस ने रविवार को दो अन्य वार्डबॉय को पकड़ा है जो इस कालाबाजारी में शामिल थे।

कोतवाली टीआई मनीषराज भदौरिया ने बताया कि खजरी निवासी संजय बुनकर के रिश्तेदार जिला अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें कोरोना संक्रमण में लगने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता थी। अस्पताल में भी संजय बुनकर को किसी ने एक नंबर दिया कि इस नंबर पर इंजेक्शन मिल जाएगा। फोन पर बात करने पर किसी विनय जाटव नामक युवक ने बात की तथा इंजेक्शन 14 हजार रुपये में देने की बात की थी। बात करने के बाद जिला अस्पताल के गेट नंबर एक के सामने पैसे लेकर बुलाया तथा इंजेक्शन लेने की बात तय हुई थी। इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले युवक को पकड़ने की योजना मरीज के परिजनों ने बनाई जैसे ही युवक इंजेक्शन लेकर आया तभी उसे कुछ लोगों ने घेराबंदी कर पकड़ लिया। पकड़ा गया युवक जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में वार्डबॉय बताया जा रहा है। यह प्रायवेट यूडीआई कंपनी का कर्मचारी है जिसका जिला अस्पताल में ठेका है। वार्डबॉय को पकड़ने के बाद कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया गया। जिसके बाद वार्डबॉय से पूछताछ की गई तो आरोपित विनय ने दो अन्य नाम और बताए जो कोरोना वार्ड में ही प्रायवेट कंपनी के वार्डबॉय है। पुलिस ने रविवार को दो आरोपित अंकित पांडे तथा सत्यम को पकड़ा है। तीनों आरोपित मिलकर इंजेक्शन वार्ड से चुराते थे तथा मंहगे दाम में बेचते थे। पुलिस ने आवश्यक वस्तु निवारण अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा व चोरी की धाराओं में मामला दर्ज किया गया हैं।

मृत व्यक्तियों के इंजेक्शन बेचते थे

पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि वार्डबॉय कोरोना वार्ड में भी पदस्थ थे तथा कोरोना वार्ड से यह इंजेक्शन चुराते थे। वार्ड में भर्ती कोरोना मरीजों को यह इंजेक्शन लगाए जाते है तथा स्टॉक से वार्ड में इन्हें पहुंचाया जाता है। लेकिन जिन्हें इंजेक्शन लगाए जाने है उसमें से कुछ मरीजों की मौत हो जाती हैं। जिन मृत मरीजों के नाम के इंजेक्शन आते है वह उन्हें नहीं लगने के बाद बच जाते है। नियमों के अनुसार इन इंजेक्शनों को वापस किया जाना चाहिए लेकिन वार्ड बॉय इन इंजेक्शन को चोरी कर बेच देते है। आरोपित वार्डबॉय अब तक चार इंजेक्शन चुराने की बात पुलिस के सामने कबूल चुके हैं। इस मामले में वार्ड में पदस्थ स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही भी सामने आ रही है बताया जा रहा है कि यही वार्डबॉय मरीजों को इंजेक्शन लगाने का कार्य करते थे जिसके कारण वह आसानी से इन इजेंक्शनों को चुरा लेते थे।

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