इंदौर । कैंसर के मरीजों को कीमोथैरेपी दी जाती है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी आम व्यक्ति से कम होती है। इसके चलते उन्हें संक्रमण का खतरा अधिक होता है। संक्रमित होने के बाद इसके घातक परिणाम आने की संभावना भी अधिक रहती है। इस कारण कैंसर के मरीज को विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता है। सही तरीके से मास्क पहनने के साथ शारीरिक दूरी दो गज से अधिक रखना जरूरी है।
कई बार जब कोई व्यक्ति छींकता है तो उसके नाक से निकलने वाले सूक्ष्म कण हवा में कई फीट की दूरी तक भी चले जाते हैं। इसलिए सावधानी बेहद जरूरी है। आहार में फल-सब्जियों का उचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बुजुर्ग लोगों को भी घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। कई बार लोग सोचते हैं कि जो एक बार संक्रमित हो गया वो दूसरी बार नहीं होगा लेकिन कुछ रिसर्च में ऐसे लोग भी सामने आए हैं जिन्हें दोबारा संक्रमण हुआ है। ऐसे लोगों की संख्या कम है लेकिन संक्रमित होने के बाद ठीक हुए लोग भी मास्क और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करें।
फेफड़ों पर भी होता है असर
डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों के इलाज के दौरान उनके फेफड़ों पर भी असर पड़ता है। दवाओं की हाई डोज के चलते स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान होता है। इसी कारण कैंसर का मरीज थोड़ी दूर चलता है तो थका हुआ महसूस करता है। कुछ मरीजों को सांस की तकलीफ भी होती है। इम्यूनिटी कमजोर होने से कोरोना ही नहीं वह दूसरी बीमारियों की भी चपेट में आ जाता है।
भारत में लगातार बढ़ रहे कैंसर के मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में 12 लाख नए कैंसर के मरीज मिले जबकि 7,84,800 कैंसर मरीजों की मौत हुई। भारत में स्तन, फेफड़े, पेट, कोलोरेक्टल और सर्वाकल कैंसर के मामले अधिक पाए जाते हैं। यह सभी पांच कैंसर नए मिलने वाले कैंसर मरीजों का 49 फीसदी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि आने वाले 2 दशक में कैंसर मरीजों का ग्राफ दुनिया भर में तेजी से बढ़ेगा.
किसी भी बात का तनाव न लें वरना बढ़गी मुसीबत
डॉक्टर्स के मुताबिक महामारी के दौरान कैंसर मरीज घर में कैद ही रहें। 99 फीसदी कैंसर मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर होती है किसी तरह का तनाव ना लें और समय पर दवा लें। कैंसर मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसी स्थिति में अगर वह वायरस की चपेट में आएंगे, तो वायरस इसका फायदा उठाकर उनकी तकलीफ को बढ़ा सकता है।