भोपाल। पंजाब व हरियाणा में किसान आंदोलन कर रहे हैं। रेलवे ट्रैक जाम करने की जिद पर अड़े हैं और संसद में पास किसानों से जुड़े कानूनों पर नाराजगी जता रहे हैं। पंजाब व हरियाणा में हो रहे आंदोलन से मप्र में भी रेलवे सतर्क हो गया है। भोपाल, इटारसी, बीना, गुना, इंदौर, जबलपुर स्टेशनों पर नजर रखी जा रही है। आने-जाने वाली स्पेशल ट्रेनों में जवानों की चौकसी बढ़ाई है। मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया है। मैदानी रेल कर्मियों को ट्रैक के आसपास किसी भी तरह की भीड़ जमा होने पर तुरंत कंट्रोल को मैसेज करने के लिए कहा है हालांकि रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के भोपाल रेल मंडल के अधिकारियों का कहना है कि आंदोलन की कोई सूचना नहीं है। हर स्थितियों पर नजर रखे हुए हैं। स्थानीय पुलिस से भी संपर्क में है।
प्रदेश की सियासत में किसान की अहम भूमिका
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की सियासत में किसान की अहम भूमिका है। यहां किसान वर्ग सरकार बनाने और गिराने में अहम भूमिका निभा सकता है। यहां कुछ किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि बिलों का किसान खुलकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल आंदोलन की सुगबुगाहट दिखाई नहीं दे रही है। इधर कांग्रेस किसान मुद्दे को जमकर समर्थन कर रही है। मध्यप्रदेश उपचुनाव देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा मध्यप्रदेश में किसानों को साधने में सफल रही है और अभी तक कोई बड़ा किसान आंदोलन प्रदेश में नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी एहतियात के तौर पर सुरक्षा प्रबंध कड़े किए गए हैं।
गेहूं खरीद में मध्यप्रदेश ने पंजाब को दी मात
गौरतबल है कि मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी में किसानों की खास भूमिका थी। दो लाख रुपए की कर्जमाफी के चुनावी वादे में किसानों ने कमलनाथ सरकार बना दी लेकिन इसके बावजूद किसानों की कर्जमाफी नहीं हुई। इसके अलावा मंदसौर किसान आंदोलन को लेकर भी किसानों में भाजपा के खिलाफ तब नाराजगी थी