Monday , October 14 2024
Breaking News

20 सितंबर से शुरू हुई दुर्ग-विशाखापतनम नई वंदे भारत में यात्रियों का टोटा

रायपुर

 20 सितंबर से शुरू हुई दुर्ग-विशाखापतनम नई वंदे भारत में लगातार यात्रियों का टोटा बना हुआ है। इससे रेलवे को बड़ा झटका लग रहा है। नुकसान से बचने के लिए रेलवे कभी भी बड़ा फैसला ले सकती है। दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत ट्रेन के लिए रेलवे के सामने बड़ी चुनौती है। एक तरफ जहां मुख्य रूट की ट्रेनों में कंफर्म टिकट के लिए मारामारी मची हुई है, वहीं समता एक्सप्रेस में लंबी वेटिंग के हालात है।

समता एक्सप्रेस के रायपुर स्टेशन आने पर स्लीपर से लेकर एसी कोच में यात्रियों की भीड़ हमेशा देखी जा रही है। वहीं 16 कोच की वंदे भारत ट्रेन में आधे से भी अधिक सीटें खाली जा रही है। यह स्थिति वापसी में भी बनी हुई है।1128 सीटों वाली दुर्ग-विशाखापट्टनम वंदे भारत ट्रेन में रोजाना औसतन 150 से 170 यात्री ही सफर कर रहे है।

किराया अधिक इसलिए यात्री कम

दुर्ग-विशाखापतनम वंदे भारत ट्रेन के चलने को लेकर यात्रियों में कोई खास उत्साह फिलहाल नहीं दिख रहा। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह महंगा किराया होना बताया जा रहा है। यहीं कारण है कि दोनों तरफ से वंदे भारत आधी खाली सीटों के साथ दौड़ रही।

रेलवे सूत्रों के अनुसार दशहरा-दिवाली पर्व तक यह देखा जा रहा कि वंदे भारत ट्रेन को कितने यात्री मिल सकते हैं। अगर आगे भी इसी तरह से सीटे खाली रही तो बिलासपुर-नागपुर वंदे भारत ट्रेन की तरह इसके कोच भी कम करके चलाया जाएगा।

यह है दुर्ग-विशाखापतनम वंदे भारत का किराया

    एग्ज़ीक्यूटिव क्लास में ब्रेकफास्ट, चाय और लंच के साथ किराया 2,825 रुपये।
    एग्ज़ीक्यूटिव क्लास में बिना नाश्ते के किराया 2,410 रुपये
    चेयर कार में ब्रेकफास्ट, चाय, और लंच के साथ किराया 1,565 रुपये।
    चेयर कार में बिना नाश्ते और पानी के किराया 1,205 रुपये।

समता एक्सप्रेस का यह किराया

दुर्ग से विशाखापट्टनम जाने वाली समता एक्सप्रेस के फर्स्ट एसी का किराया 2100 रुपये, सेकेंड एसी का किराया 1265 रुपये, और थर्ड एसी का किराया 905 रुपये है। किराया ज्यादा होने की वजह से कम ही यात्री वंदे भारत में सफर करने आ रहे हैं। ऐसे में खाली ट्रेन से रेलवे को नुकसान हो रहा है। अब रेलवे इसको लेकर जल्द ही बड़ा फैसला ले सकता है। जहां त्योहारों में ट्रेन में जमकर भीड़ उमड़ रही है, वहीं यहां वंदे भारत ट्रेन की सीटें खाली हैं।

About rishi pandit

Check Also

कच्चे मकानों की रह जाएंगी बस यादें, गरीबों के घरों की मजबूत होने लगी हैं बुनियादें

रायपुर, अंतिम छोर के गाँव की अपनी पहचान होती है। शहर से दूर होने के …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *